नए साल की शुरुआत के बावजूद शिरोमणि अकाली दल के अंदर चल रही बगावत थमने का नाम नहीं ले रही है। श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा जारी आदेश में कहा गया था कि अकाली दल के सभी बागी और सुखबीर बादल गुट के नेता मिलकर पार्टी को मजबूत बनाने का काम करेंगे। लेकिन साल की शुरुआत के साथ ही बागी नेताओं ने अपने सख्त रुख का संकेत देना शुरू कर दिया है।
मिली जानकारी के अनुसार, बागी गुट के नेता जल्द ही श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह से मुलाकात कर सकते हैं। इस दौरान वे उन्हें एक मांग पत्र सौंप सकते हैं, जिसमें सुखबीर सिंह बादल के लम्बित इस्तीफे पर फैसला लेने का अनुरोध किया जा सकता है।

दरअसल, 16 नवंबर को सुखबीर सिंह बादल ने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने आदेश जारी कर कहा था कि जिन नेताओं ने इस्तीफे दिए हैं, उन्हें स्वीकार कर लिया जाए। इसके बाद अकाली दल नेतृत्व ने जत्थेदार से इस्तीफों को स्वीकार करने के लिए कुछ समय मांगा था।
नए अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी का हवाला
अकाली दल के नेताओं ने कहा था कि नए अध्यक्ष का चुनाव करने में समय लगेगा। इस पर जत्थेदार ने उन्हें और समय दे दिया था। हालांकि, बागी गुट अब जल्द से जल्द सुखबीर बादल का इस्तीफा स्वीकार करवाने और पार्टी में नई नेतृत्व व्यवस्था लाने की मांग कर रहा है।
बागी गुट का दबाव
अकाली दल का बागी गुट (जिसे पहले सुधार लहर कहा जाता था) चाहता है कि सुखबीर सिंह बादल का इस्तीफा जल्द से जल्द स्वीकार किया जाए। उनका तर्क है कि जब तक सुखबीर बादल का इस्तीफा स्वीकार नहीं होता, तब तक पार्टी पर उनका प्रभाव और निर्णयों पर पकड़ बनी रहेगी। बागी गुट का उद्देश्य है कि पार्टी में एक नई नेतृत्व व्यवस्था लाई जाए, जिसमें उनकी भी महत्वपूर्ण भागीदारी हो।
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