गाजीपुर. लोकसभा चुनाव में बसपा का सूपड़ा साफ होने के बाद मायावती को लेकर चर्चा तेज हो गई है. अब कहा जा रहा है कि मायावती सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ हाथ मिला सकती है. 2027 में होने वाले यूपी के विधानसभा चुनाव सपा और बसपा गठबंधन में लड़ सकती हैं. यह दावा सपा सांसद अफजाल अंसारी कर रहे हैं.

अफजाल अंसारी ने 2027 के यूपी चुनाव को लेकर बड़ा बयान दिया है. अफजाल अंसारी ने आगामी चुनावों में सपा और बसपा के एक बार फिर साथ आने की बात कही है. गाजीपुर में मीडिया से बात करते हुए सपा सांसद अफजाल अंसारी ने कहा कि हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा-बसपा साथ मिलकर लड़े. समाज ने तय कर लिया है कि नेतृत्व को समाज की बात माननी पड़ेगी और नहीं तो पिछली बार यूपी की तरह ही 403 सीट में बसपा को मात्र एक सीट ही मिलेगी. बसपा बिना स्वीकार किए इस बार लोकसभा में 80 में शून्य पर सिमट कर रह गई.

दलित वोटों को लेकर बड़ा दावा

अफजाल अंसारी ने दावा है कि कुछ दलित बस्तियों में उनको 75 फीसदी तक मत मिले हैं और औसतन दलित बस्तियों के 50 फीसदी तक मत उनको मिले हैं. उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि लोकसभा चुनाव से पहले उनको ये बात बताई गई थी कि अगर दलित उनको वोट करता है तो परिणाम उनके पक्ष में होगा और उन्होंने दलित वोट पर पूरा फोकस किया और परिणाम सकारात्मक रहा.

मायावती को दी ये नसीहत

अफजाल अंसारी ने कहा कि 2027 के विधानसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन नहीं हो पाता है तब भी दलित मतों की बड़ी भूमिका इस चुनाव में होने वाली है. अफजाल ने इशारों में बसपा मुखिया मायावती पर निशाना साधते हुए कहा कि बसपा के टाप लीडरशीप को सोचना होगा नहीं तो दलित समाज खुद सोच लेगा. ऐसा कर वो दलित वोट की सिम्पैथी बटोर रहे हैं और आने वाले विधानसभा चुनाव में उनको वोट में कन्वर्ट करने की उनकी पूरी कोशिश है.

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बता दें कि अफजाल अंसारी बसपा में रहे हैं और गाजीपुर में दलित वोट में उनकी गहरी पैठ है. लोकसभा चुनाव में ये साबित भी हो चुका है. अब अफजाल अंसारी का प्रयास है कि पूरे प्रदेश में इसी समीकरण पर काम हो और सपा-बसपा का गठबंधन न हो तब भी अपने को वो दलितों का सबसे बड़ा हितैशी साबित कर सकें.

बसपा का नहीं खुला खाता

बता दें कि इस बार लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर सपा और कांग्रेस गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया है. सपा ने यूपी में सबसे ज्यादा 37 सीटों पर जीत दर्ज की तो कांग्रेस ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं भाजपा 29 सीटों के नुकसान के साथ 36 सीटों पर सिमट गई. बसपा का खाता नहीं खुला.

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