लखनऊ. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का बड़ा बयान आया है. उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 की काली यादें 48 साल बीत जाने के बाद आज भी फिर सिहरन पैदा करती नज़र आ रही है. आपातकाल में जहां नागरिक अधिकार छीने गए, वहीं 19 महीनों की यंत्रणा में देशवासी भयाक्रांत रहे थे. असहमति की आवाज पर प्रतिबंध और जबरन लादी गई तानाशाही हुकूमत का विरोध करने वाले वास्तव में भारत के लोकतंत्र रक्षक सेनानी थे. सत्तालिप्सा में लोकतांत्रिक और स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों की अनदेखी अघोषित आपातकाल के संकेत है.

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अखिलेश यादव कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत को बचाने और संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के लिए समाजवादी शुरू से ही प्रतिबद्ध रहे हैं. आपातकाल में जिन लोगों ने लोकतंत्र को बचाने के लिए संघर्ष किया था, समाजवादी सरकार में उन लोकतंत्र सेनानियों को 15 हजार रुपए की सम्मान राशि, चिकित्सा, परिवहन की सुविधा के अलावा राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की भी व्यवस्था की गई थी. अखिलेश यादव ने कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने जो संविधान दिया है, वही हमारे लिए समान आचार संहिता है. भाजपा के लोग नफरत फैलाते हैं.

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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव रविवार को मुमताज कॉलेज, डालीगंज, लखनऊ के मौलाना अली मियां नदवी हाल में पूर्व अपर महाधिवक्ता मरहूम जफरयाब जिलानी की याद में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए. उन्होंने मरहूम जफरयाब जिलानी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. अखिलेश ने कहा कि जफरयाब जिलानी का कद बहुत बड़ा था. सभी के दुख-दर्द में साथ देते थे. इस अवसर पर ऐशबाग ईदगाह के इमाम खालिद रशीद फरंगी महली, डॉ. यासीन अली उस्मानी, पूर्व न्यायाधीश हैदर अब्बास, पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी मौजूद रहे.

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