अक्षय तृतीया एक अत्यंत पावन पर्व है, जिसे इस वर्ष 30 अप्रैल को मनाया जाएगा. इस दिन सत्तू का दान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है, बल्कि इसका गहरा आयुर्वेदिक, सामाजिक, और आध्यात्मिक महत्व भी है. आइए विस्तार से जानते हैं सत्तू दान के लाभों के बारे में.

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सत्तू दान करने के प्रमुख लाभ

धार्मिक एवं आध्यात्मिक लाभ

  • पितृ तृप्ति – सतुआ संक्रांति या अन्य पुण्य तिथियों पर सत्तू का दान करने से पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.
  • देवी-देवता प्रसन्न होते हैं – सत्तू को सात्विक आहार माना गया है, और इसका दान तप, संयम तथा सेवा का प्रतीक है.
  • अक्षय पुण्य की प्राप्ति – सत्तू जैसे पौष्टिक आहार का दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है, जो जन्मों तक साथ रहता है.

स्वास्थ्य एवं आयुर्वेदिक लाभ

  • गर्मी में राहत – शरीर को शीतलता प्रदान करता है, इसलिए इसका दान गर्मियों में विशेष रूप से लाभकारी होता है.
  • पौष्टिक आहार – सत्तू में प्रोटीन, फाइबर, आयरन जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो ज़रूरतमंदों के लिए उत्तम पोषण का स्रोत बनते हैं.

सामाजिक लाभ

  • सेवा का भाव – ज़रूरतमंदों को सत्तू दान करके उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखना समाज सेवा का श्रेष्ठ रूप है.
  • समरसता का प्रतीक – दान करने से समाज में समता और सहयोग की भावना विकसित होती है.

मानसिक और कर्मिक लाभ

  • अहंकार का क्षय – जब हम बिना किसी अपेक्षा के किसी को कुछ देते हैं, तो वह आत्मिक शुद्धि की ओर एक कदम होता है.
  • कर्मों की शुद्धि – निःस्वार्थ भाव से किया गया दान पुराने पापों का क्षय करता है और जीवन में शुभता लाता है.

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