विक्रम मिश्र, कानपुर. मुस्लिम बहुल धौज क्षेत्र में 76 एकड़ भूमि पर फैली अल-फलाह यूनिवर्सिटी इन दिनों गंभीर आरोपों के चलते सुर्खियों में है. बीते दिनों लगातार तीन डॉक्टरों के आतंकी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने और हाल ही में सात डॉक्टरों सहित 13 लोगों की गिरफ्तारी ने इस यूनिवर्सिटी की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं. धौज के मुस्लिम बहुल इलाके में 76 एकड़ में फैली अल-फलाह यूनिवर्सिटी अचानक अंतरराष्ट्रीय चर्चा का केंद्र बन गई है.

लगातार तीन डॉक्टरों के नाम आतंकी गतिविधियों से जुड़ने और मंगलवार को सात डॉक्टरों समेत 13 लोगों की हिरासत में लिए जाने के बाद यह संस्थान आतंकियों के ठिकाने के रूप में सामने आ रहा है. हालांकि इससे पहले तक इस यूनिवर्सिटी का नाम किसी राष्ट्र-विरोधी गतिविधि से नहीं जुड़ा था, लेकिन बीते एक वर्ष से ज्यादा समय से यहां कार्यरत तीन डॉक्टर जिनमें एक महिला डॉक्टर भी शामिल हैं. आतंकी साजिश रचने में लगे थे. यूनिवर्सिटी प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी, यह अपने आप में बड़ा सवाल है.

इसे भी पढ़ें : डॉक्टरों का ‘टेरर’ कनेक्शन! दिल्ली धमाके के बाद ATS और पुलिस की दबिश, हिरासत में लिए गए 5 संदिग्ध, डॉक्टर परवेज अहमद के घर से जो मिला…

12 दिन पहले गिरफ्तार किए गए डॉ. मुज्जमिल यहां तीन साल से ज्यादा समय से कार्यरत थे. यूनिवर्सिटी के अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि डॉ. शाहीन दो साल पहले यहां नियुक्त हुई थीं. पुलिस सूत्रों के अनुसार, डॉ. शाहीन इससे पहले गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज, कानपुर में सहायक प्रोफेसर थीं. वर्ष 2013 में उनके अचानक गायब हो जाने के बाद, 2021 में कॉलेज प्रशासन ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था. यह माना जा रहा है कि उनके गायब होने की वजह आतंकी गतिविधियों में शामिल होना था, जिसके बाद उन्हें अल-फलाह यूनिवर्सिटी में नौकरी मिल गई. सवाल यह है कि यूनिवर्सिटी ने बिना जांच-पड़ताल के कैसे उन्हें नियुक्त कर लिया.

इसी प्रकार डॉ. उमर, जो दिल्ली बम धमाके में शामिल था और मारा गया, वह भी इसी यूनिवर्सिटी में पढ़ाता था. इसके अतिरिक्त, फरीदाबाद और दिल्ली पुलिस ने सोमवार को यूनिवर्सिटी में छानबीन के दौरान सात डॉक्टरों सहित 13 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है. कई संदिग्धों के व्हाट्सएप कॉल डिटेल्स डिलीट पाए गए हैं, जिससे शक और गहरा गया है. इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी आतंकी गतिविधियों का केंद्र बन चुकी थी, और न तो यूनिवर्सिटी प्रशासन को और न ही पुलिस को इसकी जानकारी थी.

इसे भी पढ़ें : दिल्ली ब्लास्ट में दो और डॉक्टरों की मिलीभगत आई सामने, यूपी से डॉ परवेज तो पुलवामा से सज्जाद अहमद गिरफ्तार

यह उल्लेखनीय है कि अल-फलाह मेडिकल कॉलेज की स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी, और 2015 में यूजीसी ने इसे यूनिवर्सिटी का दर्जा प्रदान किया. अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित यह संस्थान 76 एकड़ परिसर में फैला है और इसके अंतर्गत अल-फलाह स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर और 650 बेड का चैरिटेबल अस्पताल भी संचालित होता है.
वर्तमान में यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर भूपेंद्र कौर हैं और मेडिकल अधीक्षक डॉ. जमील हैं. जब हमने यूनिवर्सिटी प्रशासन से संपर्क करने की कोशिश की तो सुरक्षा गार्ड ने प्रवेश की अनुमति नहीं दी. भूपेंद्र कौर और डॉ. जमील दोनों के फोन भी स्विच ऑफ मिले.