Delhi Assembly Election: दिल्ली में चुनावी हलचल तेज हो गई है. कांग्रेस ने अलका लांबा(Alka Lamba) को कालकाजी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. अलका लांबा ने आज अपना नामांकन दाखिल किया. उन्होंने X पर एक वीडियो साझा करते हुए बताया कि दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी, आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार, जाम में फंसने के कारण नामांकन नहीं कर सकीं. अलका लांबा ने कहा, “जब दिल्ली की मुख्यमंत्री स्वयं ट्रैफिक जाम के कारण अपने काम नहीं कर पा रही हैं, तो आम जन को पेश आने वाली तकलीफ का अंदाजा हम लगा सकते हैं.” उन्होंने जनता को परेशान किए बिना अपने वकीलों के साथ साधारण तरीके से नामांकन करने का निर्णय लिया.

अलका लांबा ने एक अन्य पोस्ट में लिखा, जिसमें उन्होंने नामांकन और चुनाव कार्यालय के उद्घाटन से क्षेत्रवासियों की खुशहाली के लिए प्रार्थना की. “आदिशक्ति माँ का आशीर्वाद और आप सभी का विश्वास ही मेरी ताकत है. मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा परिवर्तन का संकल्प अवश्य सफल होगा,”

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कैसा रहा है अलका लांबा का सियासी करियर?

21 सितंबर 1971 को अलका लांबा का जन्म हुआ था. उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह कॉलेज और सेंट स्टीफंस कॉलेज से एमएससी और एमडी की डिग्री मिली है. अब वह दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ कांग्रेस का उम्मीदवार हैं.

कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) की पूर्व नेता और वर्तमान में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा को कालकाजी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है.

अलका लांबा ने 2015 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर चांदनी चौक से चुनाव जीतकर विधानसभा में प्रवेश किया था, जिसमें उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार सुमन गुप्ता को 18 हजार से अधिक मतों से हराया था. लेकिन 2019 में उन्होंने पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गईं.

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2020 के विधानसभा चुनाव में अलका लांबा ने चांदनी चौक सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार प्रहलाद सिंह साहनी ने जीत हासिल की, जबकि अलका लांबा तीसरे स्थान पर रहीं.

छात्र नेता के रूप में की थी राजनीतिक करियर की शुरुआत

अलका लांबा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र नेता के रूप में की थी, दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रसंघ की अध्यक्ष भी रह चुकी थीं. 2002 में, वे अखिल भारतीय महिला कांग्रेस का महासचिव बनीं, फिर 2006 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गईं और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की महासचिव बनीं. अलका लांबा ने 2013 में कांग्रेस छोड़कर अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी में शामिल हो गई, लेकिन 2019 में फिर से कांग्रेस में वापस आ गईं.