विक्रम मिश्र, लखनऊ. लोकसभा चुनाव में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करने के बाद गठबंधन को लेकर दो यवकों (अखिलेश यादव और राहुल गांधी) की जोड़ी अब सियासी चौसर पर एक साथ आने को तैयार नहीं दिख रही है. हरियाणा और जम्मू में इंडी गठबंधन के सहारे सीट मिलने की उम्मीद नकारात्मक जवाब मिलने के बाद से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष क्षुब्ध हैं. ऐसे में अब आगामी उपचुनाव में सपा कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में कोई भी सीट देने के पक्ष में नहीं है.

हालांकि समाजवादी सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने तय कर लिया है कि विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में वह कांग्रेस को एक सीट से ज्यादा नहीं देगी. हरियाणा में कांग्रेस ने अपने सहयोगी समाजवादी पार्टी को कोई सीट नहीं दी थी. हालांकि अखिलेश ने गठबंधन की एकता और भाजपा की शिकस्त के लिए त्याग करने की बात कही और अपनी हरियाणा यूनिट को चुनाव न लड़ने का निर्देश दिया था. लेकिन जम्मू-कश्मीर में भी कांग्रेस नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन ने सपा को एक भी सीट नहीं दी. हालांकि यहां सपा ने तेवर दिखाते हुए 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था. मगर हरियाणा की टीस अब भी अखिलेश यादव को परेशान कर रही है.

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कांग्रेस मजबूत तो सपा होगी कमजोर!

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस दोनों के वोट बैंक में ज्यादातर जातियों का समीकरण एक सा है. लिहाजा समाजवादी पार्टी को इस बात का भी डर सता रहा है कि अगर यूपी में कांग्रेस मजबूत हुई तो समाजवादी पार्टी रसातल में चली जाएगी. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के जीते सांसदों ने गठबंधन के तहत अपेक्षाकृत बड़े अंतर से अपनी सीट जीती जबकि सपा प्रत्याशियों ने इसके मुकाबले कुछ सीटों पर अपेक्षाकृत कम अंतर से सीटें जीतीं. जिससे ये सिद्ध होता है कि लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का वोट कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हुआ था. ऐसे में अगर कांग्रेस को उपचुनाव में अगर गठबंधन नीति के तहत बराबर की सीट दी गई तो इसका फायदा कांग्रेस को मिलना तय है जबकि समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन कमज़ोर हो सकता है.