रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बस्तर इलाके में अभूतपूर्व विकास हो रहा है. हाल ही में नीति आयोग ने राज्य सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया है. यह पुरस्कार बस्तर के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में शिक्षा सुधार के लिए किए गए प्रयासों की सराहना के रूप में दिया गया है. विष्णुदेव साय सरकार ने अपने कार्यकाल में शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में कई अहम पहल की हैं. खासतौर पर बस्तर जैसे दूरस्थ और नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सुधारों की जो लहर आई है, उसे राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा जा रहा है. नीति आयोग द्वारा दिए गए पुरस्कार ने इस उपलब्धि को और मजबूती प्रदान की है.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य में शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति को देखते हुए नीति आयोग ने बस्तर जिले को 3 करोड़ रुपये के पुरस्कार से सम्मानित किया है. यह उपलब्धि न केवल बस्तर जिले के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए गर्व का विषय है जिसे शिक्षा के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम कहा जा सकता है.

बस्तर: कभी पिछड़ेपन का प्रतीक, अब विकास की नई कहानी

छत्तीसगढ़ का बस्तर इलाका कभी नक्सली हिंसा, गरीबी और पिछड़ेपन के लिए जाना जाता था. यहां की दुर्गम पहाड़ियों और घने जंगलों में बसे आदिवासी समुदायों को शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ा था. लेकिन मुख्यमंत्री विष्णुदेव के कार्यकाल में सरकार ने एक नया विजन अपनाया. मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारा लक्ष्य बस्तर को सिर्फ नक्शे पर नहीं, बल्कि विकास के हर पैमाने पर आगे लाना है. शिक्षा के क्षेत्र में हमने जो सुधार किए हैं, वे सिर्फ शुरुआत हैं. आने वाले वर्षों में बस्तर पूरे देश के लिए एक मॉडल बनेगा.” राज्य सरकार की योजनाओं की बदौलत अब बस्तर के गांवों में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और डिजिटल लर्निंग की सुविधाएं पहुंच रही हैं. नीति आयोग ने इन्हीं सुधारों को मान्यता देते हुए छत्तीसगढ़ सरकार को सम्मानित किया है.

इस संदर्भ में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि “बस्तर जिले को शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, सीखने की सहभागिता बढ़ाने, शिक्षा प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने और एक मजबूत शिक्षक-छात्र बंधन को बढ़ावा देने में उसके ‘उत्कृष्ट प्रदर्शन’ के लिए नीति आयोग द्वारा 3 करोड़ रुपये का पुरस्कार दिया गया है, जो राज्य के लिए गर्व का विषय है.” मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर बस्तर जिले के विद्यार्थियों, शिक्षकों और प्रशासन को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि “यह सम्मान प्रदेश में संपूर्ण शिक्षा तंत्र को और अधिक सशक्त बनाने तथा बस्तर में बौद्धिक और शैक्षणिक विकास को नया आयाम देने के लिए राज्य सरकार को और अधिक प्रेरित करेगा.” सीएम साय ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि “यह बेहद गर्व और खुशी की बात है कि बस्तर जिले में स्कूली बच्चों की कड़ी मेहनत और हमारी सरकार की उत्कृष्ट शिक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता ने जिले को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है. शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, सीखने की सहभागिता बढ़ाने, शिक्षा प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने और शिक्षक-छात्र के बीच मजबूत संबंध को बढ़ावा देने में ‘उत्कृष्ट प्रदर्शन’ के लिए नीति आयोग का ये पुरस्कार क्षेत्र में शिक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है.”

बस्तर जिले की शिक्षा यात्रा

बस्तर जिला, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, अतीत में शिक्षा के क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना कर चुका है. भौगोलिक विकटता, नक्सल प्रभावित क्षेत्र और बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण शिक्षा का प्रसार धीमा था. इन प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद राज्य की साय सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं जिसका परिणाम सामने है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बस्तर जिले में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार और छात्रों के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए कई पहल की गईं. इन प्रयासों का ही नतीजा है कि आज बस्तर जिला शिक्षा के क्षेत्र में एक मॉडल के रूप में उभरकर सामने आया है.

शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार

विष्णुदेव साय सरकार द्वारा बस्तर में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई अभिनव योजनाएं चलाई गईं. इनमें कुछ प्रमुख प्रयास इस प्रकार हैं:

  1. ‘बस्तर ज्ञान दीप’ योजना

यह योजना आदिवासी बच्चों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने के लिए शुरू की गई थी. इसके तहत सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल लाइब्रेरी और इंटरेक्टिव लर्निंग टूल्स उपलब्ध कराए गए. शिक्षा विभाग के अधिकारी ने बताया, “इस योजना के तहत 500 से अधिक स्कूलों को डिजिटल सुविधाओं से लैस किया गया है, जिससे हजारों बच्चों को आधुनिक शिक्षा मिल रही है.”

  1. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ‘शिक्षा संजीवनी’ केंद्र

बस्तर के दुर्गम इलाकों में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां पहले स्कूल नहीं थे. सरकार ने वहां ‘शिक्षा संजीवनी’ केंद्र स्थापित किए हैं, जहां बच्चों को नियमित रूप से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है. एक स्थानीय शिक्षक सुनील कश्यप बताते हैं, “पहले बच्चे जंगलों में खेलने जाते थे, अब वे स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. स्मार्ट क्लास और नए शिक्षक आने के बाद बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ी है.”

  1. ‘सुपोषित शिक्षा अभियान’

शिक्षा के साथ-साथ कुपोषण दूर करने के लिए मिड-डे मील योजना को अपग्रेड किया गया है. अब स्कूलों में स्थानीय स्तर पर तैयार किया गया पोषण युक्त भोजन दिया जा रहा है, जिससे बच्चों की सेहत में सुधार आया है. इस योजना के तहत न केवल स्कूलों की उपस्थिति बढ़ी है, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य में भी काफी सुधार हुआ है.

  1. ज्ञानगुड़ी और विज्ञान शाला का उद्घाटन

मुख्यमंत्री साय ने जगदलपुर के धरमपुरा में 25 लाख रुपये की लागत से निर्मित ज्ञानगुड़ी और 45 लाख रुपये से नवनिर्मित विज्ञान शाला का उद्घाटन किया. इन संस्थानों का उद्देश्य छात्रों को आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है.

  1. ब्याज मुक्त शिक्षा ऋण योजना

माओवादी प्रभावित जिलों के आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को तकनीकी और व्यावसायिक उच्च शिक्षा के लिए ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करने की योजना लागू की गई है, जिससे उन विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा दी जा सके.

  1. बस्तर ओलंपिक का आयोजन

बस्तर में खेल और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए बस्तर ओलंपिक का आयोजन किया गया, जिससे युवाओं में उत्साह और प्रतिभा का विकास हुआ है बच्चों की प्रतिभा को निखारने वाल साबित हुआ.

नीति आयोग द्वारा पुरस्कार और इसकी अहमियत

नीति आयोग हर साल देश के राज्यों को उनके विकास कार्यों के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार प्रदान करता है. इस बार छत्तीसगढ़ को ‘शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन’ श्रेणी में सम्मानित किया गया. नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेहरा ने कहा, “छत्तीसगढ़ सरकार ने बस्तर जैसे दुर्गम क्षेत्र में शिक्षा सुधार के लिए जो कार्य किए हैं, वे पूरे देश के लिए प्रेरणादायक हैं. यहां बच्चों की स्कूल में उपस्थिति में 60% की वृद्धि हुई है और डिजिटल लर्निंग के नए मॉडल अपनाए गए हैं.”

इस सम्मान से राज्य सरकार का मनोबल बढ़ा है और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसे बस्तर के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया है. नीति आयोग द्वारा बस्तर जिले को 3 करोड़ रुपये का पुरस्कार प्रदान किया जाना राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के संयुक्त प्रयासों की मान्यता है. यह पुरस्कार शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, नवीन शैक्षणिक तकनीकों के सफल क्रियान्वयन और शिक्षक-छात्र संबंधों को मजबूत करने में जिले की उपलब्धियों को दर्शाता है. बस्तर जिले में शिक्षा की गुणवत्ता में होने वाला यही सुधार, शिक्षण को अधिक रोचक और प्रभावी बनाने की प्रक्रिया, नवीन शैक्षणिक तकनीकों के सफल क्रियान्वयन और शिक्षक-छात्र संबंधों को मजबूत करने में उल्लेखनीय सफलताओं के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए ही नीति आयोग ने बस्तर जिले को सम्मानित किया है.

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बधाई देते हुए यह भी कहा कि “बस्तर जिले के विद्यार्थियों की मेहनत, शिक्षकों के समर्पण और हमारी सरकार की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्धता ने जिले को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है. यह सम्मान पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणादायक है. यह पुरस्कार आकांक्षी जिलों में बुनियादी शिक्षा के सुदृढ़ीकरण और शिक्षा की समावेशी एवं नवाचार युक्त नीति को आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों की सफलता का प्रमाण है.”

बस्तर में अन्य विकास कार्य

शिक्षा के साथ-साथ सरकार ने बस्तर में अन्य क्षेत्रों में भी तेजी से विकास किया है:

  1. सड़क और बुनियादी ढांचे का विकास

700 किलोमीटर से अधिक सड़कें बनाई गईं, जिससे दुर्गम गांवों को मुख्य शहरों से जोड़ा गया.
नई रेलवे परियोजना शुरू की गई, जिससे बस्तर को बाकी राज्य से जोड़ने में मदद मिलेगी.

  1. स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार

दूरस्थ इलाकों में 10 नए अस्पताल और 50 से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोले गए.
‘चलित अस्पताल’ योजना के तहत मोबाइल मेडिकल यूनिट्स चलाई जा रही हैं, जो गांव-गांव जाकर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रही हैं.

  1. रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा

आदिवासी युवाओं को स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग दी जा रही है.
स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए ‘बस्तर हाट’ की शुरुआत की गई, जिससे आदिवासी शिल्पकारों और किसानों को सीधा बाजार मिला.

जनता की प्रतिक्रिया: अब बस्तर बदल रहा है

सरकारी योजनाओं का असर अब बस्तर की जनता के जीवन में भी दिखने लगा है.

एक स्थानीय आदिवासी महिला, मीरा कश्यप, जो अपने बेटे को सरकारी स्कूल भेजती हैं, कहती हैं, “पहले हमारे बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाती थी, लेकिन अब स्कूल में सुविधाएं बढ़ गई हैं. स्मार्ट क्लास में पढ़ाई देखकर हमें लगता है कि हमारे बच्चे का भविष्य उज्ज्वल होगा.”

एक अन्य युवा, राजेश मंडावी, जो हाल ही में स्किल ट्रेनिंग के बाद नौकरी में लगे हैं, कहते हैं, “सरकार ने हमें सिर्फ शिक्षा ही नहीं, बल्कि रोजगार के मौके भी दिए हैं. अब बस्तर बदल रहा है.”

मुख्यमंत्री विष्णुदेव के नेतृत्व में बस्तर का विकास तेजी से हो रहा है. नीति आयोग द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में दिए गए पुरस्कार ने इस विकास की गति को और मान्यता दी है. शिक्षा के अलावा, स्वास्थ्य, सड़क, रोजगार और बुनियादी ढांचे में भी बस्तर को एक नई दिशा दी जा रही है. हालांकि, अभी भी चुनौतियां बरकरार हैं, लेकिन सरकार के प्रयासों से यह स्पष्ट है कि बस्तर अब पिछड़ेपन से निकलकर विकास की ओर अग्रसर हो रहा है. क्या यह बदलाव स्थायी रहेगा? यह आने वाले वर्षों में ही पता चलेगा, लेकिन फिलहाल बस्तर एक नई विकास गाथा लिखने की राह पर है.