कुशीनगर. सरकार संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने और जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के ख्याल से जननी बाल सुरक्षा योजना चला रही है. इसमें संस्थागत प्रसव के बाद प्रसूता को नकद राशि दी जाती है, लेकिन दो वर्ष से किसी भी लभार्थी को कोई भुगतान नही मिला है. योजनाओं से संबंधित राशि के भुगतान के लिए प्रतिदिन लाभार्थी और उनके स्वजन अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं.

बुधवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामकोला की आशा बहुओं ने प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. एपी गुप्ता के समक्ष समस्याओं से सम्बंधित ज्ञापन के माध्यम से अपनी मांग रखी. प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को संबोधित ज्ञापन में लिखा है कि 2020 से लेकर मार्च 2022 तक का जननी सुरक्षा, प्रधानमंत्री मातृत्व बन्दना योजना और आशा बहुओं को मिलने वाला नसबंदी का पारिश्रमिक का भुगतान नहीं मिला है. साथ ही यह भी आरोप लगाई है कि जब प्रशव के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रशव के लिए महिलाओं को लाते है तो दास्ताना, ब्लेड और कम से कम पांच सौ रुपए की दवा बाहर से मंगवाया जाता है.

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आशा बहुओं ने बताया कि प्रशव होने के बाद एक हजार से पंद्रह सौ रुपए तक की दवा बाहर से लिखा जाता है और जबरन मंगवाया जाता है. आशा बहुओं ने आरोप लगया कि अगर प्रशव पीड़िता गरीब है और दवा नहीं खरीदती है तो आशाओं को डाटा जाता है. प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. आनंद प्रकाश गुप्ता ने बताया कि सीएचसी रामकोला में 80 प्रतिशत भुगतान फाइनल है और बाहर से दवा खरीदने की शिकायत आज तक कोई भी मरीज विभाग से नहीं की है.

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