गंगा सागर हिन्दुओं का दुर्लभ तीर्थ है जहां पहुंचना आम आदमी के लिए आज भी सहज नहीं है, किन्तु हिन्दुओं के लिए गंगा सागर की तीर्थ यात्रा जीवन में एक बार अत्यन्त आवश्यक है. देवर्षि नारद ने महाभारत में युधिष्ठिर को गंगा सागर का माहात्म्य बतलाते हुए कहा था कि ‘गंगा सागर में एक बार स्नान दश अश्वमेध यज्ञों की फल प्राप्ति के समान है.’ इसी क्रम में आगे यह बतलाया गया है कि गंगा सभी जगह पतित पावनी है किन्तु हरिद्वार, प्रयाग और गंगा सागर संगम में तो अधिक पुण्यवती है.

स्कन्द पुराण में तो ऐसा कहा गया है कि जो फल तीर्थ सेवा, सभी प्रकार के दान, सभी देवताओं की पूजा, सर्वविद् तपस्या और यज्ञ के पुण्य से प्राप्त होता है, वह गंगासागर में एक बार स्नान करने से प्राप्त हो जाता है. हर वर्ष 14-15 जनवरी को मकर संक्रांति पर यहां लाखों श्रद्धालु स्नान करने आते हैं. Read More – Cheapest e-Car : जानें भारत की सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक कार PMV EaS-E की खूबियां और कब मिलेगी डिलीवरी …

गंगासागर जाने का रास्ता

गंगासागर कोलकाता से 90 मील दक्षिण की ओर स्थित है. कोलकाता से यात्री प्राय: बस पश्चात जहाज पश्चात लघु गाडिय़ों द्वारा गंगा सागर पहुंचते हैं. आलेख लेखक पवन कुमार कल्ला ने कोलकाता से बस द्वारा यात्रा करके समुद्री किनारे तक पहुंच की. यह समुद्री तट हार्बल प्वाइंट के नाम से जाना जाता है. यह यात्रा 110 कि.मी. की रही. हार्बल प्वाइंट से पानी मार्ग द्वारा 18 कि.मी. का सफर करके कचुबेडिय़ां नामक स्थान पर पहुंचे. कचुबेडिय़ां से गंगा सागर तक का स्थान 40 कि.मी. तक सफर वाला है.

रास्ते में कुदरती नज़ारे

इस रास्ते में वर्षा की फुहारें, पेड़ों की सघन श्रृंखला की आबादी, बीच-बीच में झोपड़पट्टीनुमा कच्ची इमारतें, रास्ते में जमीन काट-काट कर वर्षा जल संग्रह स्थल, यानी लघु सरोवर हैं. इसी प्रकार से भूमि में खुदाई करके आयताकार लघु आकृतियों में मछली पालन के दृश्य लोक-लुभावन से लगते हैं. वर्षा की फुहारों, विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों की हरीतियां, खुशबूदार फूलों और जंगल में झोपड़पट्टियां, पानी संग्रह व मछली पालन करते लोगों को आदिवासी लिबास में देखकर स्वर्गिक सुख का अनुभव किया. Read More – नए साल से पहले विमान कंपनियों ने किराया दोगुना बढ़ाया…

मकर संक्रांति के स्नान का विशेष महत्व

ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप कट जाते हैं. वहीं, तिलांजलि और दान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा सागर में आस्था की डुबकी लगाते हैं.