प्रयागराज. स्वामी रामभद्राचार्य अपने बयानों को लेकर आए दिन सुर्खियों में बने रहते हैं. हालही में प्रेमानंद महराज को लेकर की गई टिप्पणी और पश्चिमी यूपी को मिनी पाकिस्तान बताने के बाद से वे इन दिनों काफी चर्चा में हैं. इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर चल रहे रामभद्राचार्य के अपमानजनक वीडियो को तत्काल हटाने के निर्देश दिए हैं.

दरअसल, रामभद्राचार्य के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक कंटेंट फैलाए जा रहे हैं. इस पर उच्च न्यायालय ने तत्काल इन तमाम वीडियो को गूगल, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब से हटाने के निर्देश दिए हैं. शुक्रवार 19 सितंबर को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने इस मामले का संज्ञान लिया. अदालत ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और गूगल को सात दिन के भीतर इन वीडियो को हटाने के कहा है.

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जानकारी के मुताबिक शरद चंद्र श्रीवास्तव सहित अन्य लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. इन्होंने केंद्र समेत राज्य सरकार से सोशल मीडिया को लेकर बने नियमों का पालन सुनिश्चित कराने की मांग की. वहीं याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और बृजराज सिंह की खंडपीठ ने आदेश दिया कि हर मांग का पालन किया जाए. याचिका में ये भी आरोप है कि गोरखपुर के यूट्यूबर शशांक शेखर सोशल प्लेटफार्म पर सक्रिय हैं और रामभद्राचार्य के खिलाफ अपमानजनक वीडियो चला रहे हैं. इन वीडियो में स्वामी रामभद्राचार्य की दिव्यांगता का मजाक उड़ाया जाता है.

मामले में कोर्ट ने शशांक शेखर से स्पष्टीकरण मांगा है. साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है. मामले में अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होनी है.