प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 43 साल पहले पारिवारिक पंचायत में शामिल होने से इंकार करने पर झड़प में हुई मौत को हत्या न मान कर गैर-इरादतन हत्या का मामला माना. निचली अदालत द्वारा हत्या के लिए दोषी ठहराए गए अपीलार्थी को गैर-इरादतन हत्या का दोषी करार दिया.
मिली जानकारी के अनुसार, हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को सात वर्ष सश्रम कारावास में बदल दिया. यह आदेश न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी और न्यायमूर्ति नंद प्रभा शुक्ला की खंडपीठ ने उम्रकैद की सजा पाए काली प्रसाद मिश्रा और शिव शंकर मिश्रा द्वारा निचली जिला व सत्र न्यायाधीश इलाहाबाद के फैसले को चुनौती देने वाली अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है.
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बता दें कि मामला 43 साल पुराना प्रयागराज जिले के हंडिया थानाक्षेत्र का है. 23 मई 1980 को मृतक हिंच नारायण मिश्रा (50) की पत्नी राम अधारी देवी ने अपने देवर लख नारायण मिश्रा और दूसरे देवर राम लखन मिश्रा के दो बेटे काली प्रसाद मिश्रा (19) और शिव शंकर मिश्रा (22) के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई. आरोप लगाया भूमि विवाद को लेकर हो रही पारिवारिक पंचायत में शामिल होने से इन्कार करने पर उनके देवर लख नारायण के इशारे पर काली प्रसाद मिश्रा और शिव शंकर मिश्रा ने उनके पति को लाठी मारी जिससे वह घायल हो कर गिर गए. बाद में उनकी मौत हो गई.