प्रयागराज. शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बालगृहों की स्थिति पर चिंता जाहिर की है. मिली जानकारी के अनुसार कोर्ट ने कहा है कि यूपी के बाल गृहों में रह रहे बच्चों को पौष्टिक आहार ही नहीं, बल्कि उन्हें सूरज की रोशनी, ताजी हवा की भी दरकार है. कोर्ट ने कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यहां की स्थिति जेलों से भी बदतर है.

‘मौलिक अधिकारों का हनन’

बच्चों के उचित रखरखाव के संबंध में कोर्ट ने कहा कि यह उनके मौलिक अधिकारों का हनन है. कोर्ट ने सुधार गृहों की कमियों को तुरंत दूर करने के लिए निर्देश दिया है. वहीं, मामले की अगली सुनवाई पर महिला एवं बाल विकास विभाग यूपी के प्रमुख सचिव अवलोकन कर बच्चों की संख्या, बालगृहों की संख्या बताएं. साथ ही सुधार के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी व्यक्तिगत हलफनामा पर प्रस्तुत करें.

निरीक्षण में हुआ खुलासा

बता दें कि यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने दिया है. कोर्ट ने सुधार के लिए कुल नौ बिंदुओं पर सुझाव दिए हैं. कहा है कि इन पर तुरंत अमल किया जाए. कोर्ट ने आदेश में बालगृहों का निरीक्षण करने वाले न्यायमूर्ति अजय भनोट का नाम भी दर्ज किया है.

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जांच के संबंध में कोर्ट ने कहा, न्यायमूर्ति के निरीक्षण में कई कर्मियों का पता चला. इस उदासीनता को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. कोर्ट कहा कि जब तक बालगृहों के लिए एक मानक नहीं बनाया जाता तब तक इनको ऐसी जगह स्थानांतरित किया जाए, जहां खेल के मैदान समेत बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हों.