प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि नेशनल हाईवे एक्ट के तहत एक बार अधिग्रहीत होकर सरकार के नाम दर्ज हो चुकी जमीन किसी भी स्थिति में मूल मालिक को वापस नहीं की जा सकती, भले ही उसका सालों तक उपयोग न हुआ हो।
कोर्ट ने कहा कि हाईवे निर्माण संबंधी भूमि का अधिग्रहण विशेष कानून के तहत होता है और अधिग्रहण पूरा होते ही जमीन स्थायी रूप से केंद्र सरकार में निहित हो जाती है। यह निर्णय न्यायमूर्ति अजित कुमार और न्यायमूर्ति स्वरूपमा चतुर्वेदी की खंडपीठ ने अजीम अहमद सहित कई भूस्वामियों की याचिकाएं खारिज करते हुए दिया।
याचियों ने एनएच-87 के चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहीत भूमि को लंबे समय तक उपयोग न होने के आधार पर वापस करने की मांग की थी, पर कोर्ट ने कहा कि अधिनियम में भूमि लौटाने का कोई प्रावधान नहीं है।
कोर्ट ने मुआवजा भुगतान में लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए निर्देश दिया कि जिन भूस्वामियों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है, उन्हें एक महीने के भीतर भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
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