प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि पत्नी स्वयं नौकरी कर रही है और अपने भरण-पोषण में सक्षम है, तो उसे पति से गुजारा भत्ता पाने का अधिकार नहीं है। दरअसल, कोर्ट ने गौतमबुद्धनगर की परिवार अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पति को पत्नी को 5 हजार रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था।

मामले की सुनवाई के दौरान पत्नी ने स्वीकार किया कि वह नौकरी करती है और हर महीने लगभग 36 हजार रुपये की आय अर्जित कर रही है। इसके बावजूद परिवार अदालत ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत पति को भत्ता देने का आदेश दिया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 का उद्देश्य उन महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करना है, जो स्वयं अपना गुजारा करने में असमर्थ हैं। यदि पत्नी सक्षम है और उसकी नियमित आय है, तो उसे इस प्रावधान के तहत भरण-पोषण का लाभ नहीं दिया जा सकता।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कानून का दुरुपयोग कर ऐसे मामलों में भत्ता दिलाना न्यायसंगत नहीं है, जहां पत्नी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने परिवार अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया।

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