Allahabad Highcourt on Live-in Relationship: प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि जानवरों की तरह हर मौसम में पार्टनर बदलने का कान्सेप्ट एक सभ्य और स्वस्थ समाज की निशानी नहीं हो सकता. व्यक्ति को शादी में जो सुरक्षा, सामाजिक स्वीकृति और ठहराव मिलता है, वह लिव-इन रिलेशनशिप में कभी भी नहीं मिल सकता. शादीशुदा लिव-इन पार्टनर से रेप करने के आरोपी व्यक्ति को जमानत देते हुए जस्टिस सिद्धार्थ की सिंगल बेंच ने कहा कि ऊपरी तौर पर लिव-इन का रिश्ता बहुत आकर्षक लगता है, युवाओं को लुभाता है, लेकिन समय बीतने के साथ उन्हें एहसास होता है कि इस रिश्ते की कोई सामाजिक स्वीकृति नहीं है. इससे युवाओं में हताशा बढ़ने लगती है.

 कोर्ट ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप को तभी सामान्य माना जा सकता है, जब शादी का संस्थान पूरी तरह प्रचलन से बाहर हो जाए, जैसे कई तथाकथित विकसित देशों में शादी इंस्टिट्यूशन को बचाना मुश्किल हो गया है. हम भी उस राह पर जा रहे हैं, जहां भविष्य में हमारे लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है. अपने पति या पत्नी से बेवफाई करके आजादी से लिव-इन रिलेशनशिप में रहने को प्रोग्रेसिव सोसाइटी की निशानी बताई जा रही है. ऐसी बातों से युवा आकर्षित होते हैं, लेकिन वे इस बात से अनजान होते हैं कि आगे जाकर इसका क्या नतीजा होगा. ऐसा इंसान जिसके अपने ही परिवार से अच्छे संबंध नहीं हैं, वो देश की उन्नति में योगदान नहीं दे सकता.

लिव-इन में प्रेग्नेंट हो गई थी

सहारनपुर के रहने वाले अदनान पर उसकी लिव-इन पार्टनर ने रेप का आरोप लगाया था. दोनों एक वर्ष तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहे और इस दौरान लड़की प्रेग्नेंट हो गई. जज ने कहा कि देश में शादी के इंस्टिट्यूशन को खत्म करने के लिए सुनियोजित कोशिशें हो रही हैं. अर्जी में लड़की ने कहा कि आरोपी ने उसे शादी का झांसा देकर रेप किया और बाद में पलट गया. आरोपी की गिरफ्तारी 18 अप्रैल को हुई थी.