कुमार इंदर, जबलपुर। एक तरफ पूरे देश में मंदिर और मस्जिदों को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है, जहां मस्जिदों में मंदिर ढूंढने का सिलसिला जारी है। वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के बंगले में सालों पुराना प्राचीन मंदिर तोड़े जाने का आरोप लगा है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट अधिवक्ता संघ के एक वकील रविन्द्र नाथ त्रिपाठी ने इस मामले में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री से लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी पत्र भेजा है। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया गया है कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के बंगले में सालों पुराना बना प्राचीन मंदिर तोड़ दिया गया है। शिकायत पत्र में कहा गया है कि इस कदम से न केवल सनातनियों के आस्था को ठेस पहुंची है, बल्कि सालों से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट चीफ जस्टिस के बंगले में रहकर अपनी सेवा देने वाले कर्मचारियों को भी पूजा पाठ करने में परेशानी हो रही है। अधिवक्ता रवीना त्रिपाठी की शिकायत पत्र को आधार बनाने हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने सीजेआई खन्ना को पत्र लिखकर इस मामले की जांच करने और इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

शिकायतकर्ता से फोन पर बातचीत

इस मामले में लल्लूराम डॉट कॉम ने शिकायतकर्ता अधिवक्ता रवींद्रनाथ त्रिपाठी से फोन पर चर्चा की जिसमें उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि, उन्होंने चीफ जस्टिस बंगले में मंदिर हटाए जाने की शिकायत न केवल राष्ट्रपति बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री, सीबीआई, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस समेत मध्य प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन को भी की है। जिसमें उन्होंने इस मामले में जांच कर उचित कार्रवाई की मांग की है। शिकायतकर्ता एडवोकेट रविंद्र नाथ त्रिपाठी से हमने इस बारे में इंटरव्यू करने की भी बात की लेकिन उन्होंने मीडिया के सामने आने से साफ इनकार कर दिया।

इसके पहले भी इस बंगले में रहे हैं मुस्लिम चीफ जस्टिस

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने अपने शिकायत पत्र में इस बात का भी जिक्र किया है कि, इससे पहले भी चीफ जस्टिस के बंगले में कई मुस्लिम जज रह चुके हैं लेकिन किसी ऐसा नहीं किया बल्कि मंदिर के जीर्णोद्धार का काम ही किया। शिकायतकर्ता वकील ने अपने शिकायत पत्र में मध्य प्रदेश हाइकोट में कुछ पूर्व चीफ जस्टिस रह चुके नामों का भी जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जस्टिस बोबडे, जस्टिस खानविलकर जस्टिस हेमंत गुप्ता ने भी मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहते हुए अपने दैनिक जीवन की शुरुआत इसी मंदिर में पूजा पाठ से करते थे जो बाद में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधिपति भी बने।

मुस्लिम चीफ जस्टिस का भी जिक्र 

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने अपने शिकायत पत्र में मध्य प्रदेश हाइकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रह चुके रफत आलम और रफीक अहमद के कार्यकाल का भी जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि मुस्लिम चीफ जस्टिस के रहते हुए भी इस बंगले में तैनात हिंदू कर्मचारियों को बंगले में बने मंदिर में पूजा पाठ करने पर उन्होंने कभी कोई आपत्ति नहीं उठाई थी।

बंगला और मंदिर सरकारी संपत्ति

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने अपने शिकायत पत्र में कहा है कि, चीफ जस्टिस का बंगला और उसके अंदर बना मंदिर दोनों सरकारी संपत्ति है और सरकारी धन से ही समय-समय पर उस मंदिर का पुनर निर्माण होता रहा है लिहाजा सरकारी संपत्ति की रक्षा करना भी मध्य प्रदेश हाई कोर्ट अधिवक्ता संघ की जिम्मेदारी है। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि इस मंदिर के हटाए जाने से न केवल सनातनियों की आस्था को चोट पहुंची है बल्कि बंगले में रह रहे सरकारी कर्मचारियों को पूजा पाठ करने में भी परेशानी हो रही है जिसके चलते उन्हें दूर जाकर पूजा करनी पड़ रही जिससे उनका समय भी जाया हो रहा है।

जस्टिस पीयूष माथुर के वक्त मंदिर बनने का दावा

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने पत्र में दावा किया है कि, चीफ जस्टिस के बंगले में यह मंदिर जस्टिस पीयूष माथुर कार्यकाल यानी 1090 में बना था। यही नहीं शिकायत करता अधिवक्ता रवींद्रनाथ त्रिपाठी ने हमसे फोन पर बातचीत में यह बताया कि जस्टिस पटनायक के कार्यकाल में उनकी पत्नी ने इस मंदिर का काफी जीर्णोद्धार कराया था और उस वक्त बाबा रामदेव भी जब जबलपुर कार्यक्रम में पहुंचे तो उन्होंने खुद भी इस मंदिर के दर्शन किए थे।

सुरेश कुमार कैत मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के 28वे चीफ जस्टिस

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के 28वें चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत हरियाणा के कैथल जिले के रहने वाले हैं। उनका जन्म 24 मई 1963 को कैथल के काकौत गांव में हुआ था। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। 25 सितंबर 2024 को जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के 28वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली। जस्टिस कैत 12 अप्रैल 2013 को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने। 12 अप्रैल 2016 को तेलंगाना राज्य और आंध्र प्रदेश राज्य के लिए हैदराबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश रहते हुए जस्टिस कैत जामिया हिंसा और सीएए जैसे मामलों के फैसलों के लिए भी जाने जाते हैं।

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