पिथौरा। ग्राम पंचायत लाखागढ़ में गोधन न्याय योजना, गौठान निर्माण और मनरेगा के तहत हुए कार्यों में भारी वित्तीय अनियमितताओं को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद अब आंदोलन का रूप ले चुका है। सोमवार को पोमल कोसरिया के नेतृत्व में ग्रामीणों ने पिथौरा तहसील परिसर में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी।

ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत के सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक ने योजनाओं के नाम पर हजारों रुपये का भ्रष्टाचार किया है। पोमल कोसरिया का कहना है कि बिना कार्य कराए ही राशि का भुगतान कर दिया गया। उन्होंने बताया कि पहले शिकायत पर जांच हुई थी और आरोप भी सिद्ध हुए, फिर भी किसी भी जिम्मेदार अधिकारी या जनप्रतिनिधि पर न तो एफआईआर दर्ज हुई और न ही कोई प्रशासनिक कार्रवाई की गई।

बिना अनुमति आंदोलन, पुलिस ने लिया हिरासत में

भूख हड़ताल शुरू होने के कुछ घंटों के भीतर ही पिथौरा पुलिस ने तहसीलदार के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए पोमल कोसरिया, तारेन्स कोसरिया, उर्मिला कोसरिया, पुनिया बाई कोसरिया और गीता बंजारे को हिरासत में ले लिया। पुलिस का कहना है कि आंदोलन की पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी और यह सरकारी स्थल पर आयोजित किया जा रहा था।

पिथौरा थाना प्रभारी एसआई दिलीप ठाकुर ने बताया कि तहसील परिसर में बिना अनुमति प्रदर्शन करना नियम विरुद्ध है, इसलिए आंदोलनकारियों को हटाया गया। वहीं, एसडीएम ओंकारेश्वर सिंह ने स्पष्ट किया कि क्षेत्र में आंदोलन के लिए कोई अधिकृत स्थल निर्धारित नहीं है, इसलिए अनुमति देना संभव नहीं था।

थाने में भी जारी रहा विरोध, प्रशासन पर भेदभाव के आरोप

हिरासत में लिए गए ग्रामीणों ने थाने में ही भूख हड़ताल जारी रखी और स्पष्ट किया कि जब तक जिम्मेदारों पर एफआईआर दर्ज कर कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती, वे पीछे नहीं हटेंगे। कुछ घंटों बाद पुलिस ने सभी आंदोलनकारियों को छोड़ दिया।

प्रशासन ने दी सफाई, ग्रामीणों ने बताया ‘मनमानी जांच’

जनपद पंचायत पिथौरा के सीईओ चंद्रप्रकाश मनहर ने कहा कि मामले की दोबारा जांच कराई गई थी, जिसमें पूर्व में अधूरे रहे कार्यों को बाद में पूर्ण पाया गया है, इसलिए अब कोई कार्रवाई जरूरी नहीं समझी गई।

वहीं आंदोलन का नेतृत्व कर रहे पोमल कोसरिया ने आरोप लगाया कि जिला पंचायत द्वारा पूर्व में की गई जांच में दोष साबित होने के बाद भी, जनपद स्तर पर तीसरी बार मनमानी तरीके से जांच कराकर जिम्मेदारों को बचाने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि योजना बंद होने के बाद भी गोबर खरीदी कर गौठान में डंप करना नियमविरुद्ध है, जिसे जिला पंचायत महासमुंद ने भी गंभीरता से लिया था, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

सरपंच ने बताया आरोपों को निराधार

पंचायत के सरपंच प्रियरंजन कोसरिया ने सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि सभी कार्यों का मूल्यांकन एसडीओ आरईएस द्वारा कराया गया था और उन्हें पूर्ण पाया गया। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक त्रुटियां कार्य पूर्ण होने के साथ ही स्वतः समाप्त मानी जाती हैं। उन्होंने साफ कहा, “मेरे द्वारा कोई भ्रष्टाचार नहीं किया गया है।”

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H