मिथुन मंडल, पखांजुर. एसेबेड़ा पंचायत के पीवी-15 नंबर गाँव के कई बीमार ग्रामीणों को बहला फुसलाकर रायपुर हॉस्पिटल ले जाने का मामला प्रकाश में आया है. लोगों का आरोप है कि वहां पर मरीजों का जबर्दस्ती आपरेशन किया गया.
लोगों ने सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि गांव के सभी मरीज अलग अलग बीमारी से ग्रसित होने के वावजूद सभी के पेट पर चीरा और टांका लगा देख परिजन परेशान हैं. एस.के.मंडल नामक एक व्यक्ति जिसने अपने आप को डॉक्टर बताया और गांव से मरीजों को इकट्ठा कर रायपुर ले जाकर उनका जबरन आपरेशन करा रहा है. परेशान औऱ चिंतित ग्रामीणों का कहना है कि ये किडनी चोरी का भी मामला हो सकता है.
गांववालों के मुताबिक पीवी-15 नंबर गांव में विगत कुछ दिनों पहले एस.के.मंडल जो अपने आप को रायपुर राजधानी हॉस्पिटल का डॉक्टर बता रहा था. उसने परलकोट क्षेत्र के गांव में घूम-घूम कर अस्वस्थ मरीजों को खोज-खोजकर रायपुर हॉस्पिटल के बहुत सारे फायदे बताए.
गांव की ही पीड़ित महिला का कहना है कि एसके मंडल द्वारा बताया गया कि रायपुर हॉस्पिटल में सभी बीमारियों का इलाज सिर्फ स्मार्ट कार्ड से किया जाता है और कोई पैसे की जरूरत नहीं होती. चाहे जितना भी बड़ा आपरेशन ही क्यों न हो. गांव के भोलेभाले महिला-बुजुर्ग जब इस झांसे में आकर एस.के. मंडल के साथ रायपुर गए तो देखा कि वहां का नजारा कुछ और ही है. रायपुर स्थित अस्पताल में सभी प्रकार की बीमारियों के लिये डॉक्टर द्वारा मरीजों पर आपरेशन का दबाव डाला जा रहा था. जब मरीजों द्वारा आपरेशन का विरोध किया गया तो अस्पताल के डॉक्टरों एवं एस.के.मंडल द्वारा ग्रामीण मरीजों पर 20 से 30 हजार रुपये जमा करने का दबाव बनाया जाने लगा.
ये बात सुनकर मरीजों के होश उड़ गए. मरीजों के लिए इतनी बड़ी रकम देना संभव नहीं था. जिसके बाद मरीजो के साथ कोई परिजन न होने की वजह से उनके साथ जोर जबरदस्ती कर दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाकर ऑपरेशन करवाया गया.
मरीजों को परेशानी और ताज्जुब तब हुआ जब एक हाथ टूटी महिला का ऑपरेशन हुआ जसके हाथ के बजाय चीरा और टांका पेट के निचले हिस्से पर देखा गया. जब महिला ने डॉक्टर से जानकारी मांगी तो उन्हें ये कहकर समझाया गया कि हाथ टूटा है पर पेट का आपरेशन करना जरूरी था. वहीं, बुखार से पीड़ित मरीज के भी पेट पर टांका और चीरा लगा है. ग्रामीणों को जब कुछ समझ नहीं आया तो वे चुपचाप रायपुर से वापस पखांजुर आये. पीड़ित लोगों ने ग्रामीणों को जानकारी दी और मीडिया के सामने अपनी आप बीती सुनाई. अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया कि खुलेआम इस प्रकार के गोरखधंधे पर शासन प्रशासन की नज़र क्यों नहीं पड़ी. वहीं इस मामले पर मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिह ने कहा कि उन्हें घटना की पूरी जानकारी नहीं है लेकिन जो अधिकारियों से मिली जानाकरी है, उसके मुताबिक ऐसा कुछ नहीं पाया गया है. ऐसे में ग्रामीणों के आरोप कई सवाल छोड़ जाते हैं कि आखिर हाथ की टूटी हड्डी के लिए पेट का आपरेशन करने की क्या जरूरत है. अगर ऐसा हुआ है तो सरकार और प्रशासनिक अमला अभी तक मौन क्यों है.