बिलासपुर। पिछली सरकार में सबसे ताकतवर नौकरशाह रहे पूर्व आईआरएस अधिकारी अमन सिंह ने एसआईटी जांच के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. अमन सिंह की ओर से पैरवी करने दिल्ली से केन्द्र सरकार के पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रहे मनिंदर सिंह पहुंचे.
जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई. अमन सिंह के वकील ने मामले में पैरवी करते हुए कोर्ट के सामने अपनी दलील रखी. पूर्व नौकरशाह के वकील ने कहा कि इस मामले में पूर्व सरकार जांच कर चुकी है और उन्हें क्लीन चिट भी मिल चुका है. ऐसे में इस आधार पर एसआईटी जांच के आदेश का कोई औचित्य नहीं है. वहीं इसके अलावा अमन सिंह के वकील ने इस मामले में न्यायालय से अंतरिम राहत मांगते हुए स्टे लगाने की मांग की. अमन सिंह के वकील की दलील और अंतरिम राहत मांगने पर न्यायालय ने सरकार से जवाब मांगा है और मामले की अगली सुनवाई 12 मार्च को मुकर्रर की है.
यह है मामला
आपको बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव रहे रिटायर्ड आईआरएस अधिकारी अमन सिंह के खिलाफ पीएमओ में शिकायत हुई थी. पीएमओ से 16 जनवरी को मिले पत्र के आधार पर राज्य सरकार ने एसआईटी गठन कर मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दिया था.
गौरतलब है कि दिल्ली की द्वारका में रहने वाली विजया मिश्रा ने 4 जनवरी 2019 में प्रधानमंत्री कार्यालय में ईमेल के जरिए अमन कुमार सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने दस्तावेजी प्रमाण के आधार पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए अमन कुमार सिंह के खिलाफ जांच की मांग की थी. उन्होंने अपनी शिकायत में पूर्व गृहमंत्री और बीजेपी विधायक ननकीराम कंवर के उन पत्रों का भी संदर्भ दिया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री से भ्रष्टाचार से जुड़े आरोपों के तहत अमन कुमार सिंह के खिलाफ जांच की मांग की गई थी.
पीएमओ से की गई अपनी शिकायत में विजया मिश्रा ने कहा था कि आईआरएस से वीआरएस लेने के बाद अमन कुमार सिंह ने संविदा नियुक्ति के दौरान यह तथ्य छिपाया था कि उनके खिलाफ किसी भी तरह की जांच पेंडिंग नहीं है, जबकि छत्तीसगढ़ में डेपुटेशन से पहले 2001-2002 में कस्टम एंड सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट में बंगलुरू में डिप्टी कमिश्नर रहते हुए उनके खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में जांच की गई थी. भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद उन्हें सीबीआई जांच से गुजरना पड़ा था. शिकायत में यह भी लिखा गया है कि कस्टम एंड सेंट्रल एक्साइज के डीजी विजिलेंस ने अमन कुमार सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत चार्जशीट जारी किया था. 4 जून 2009 को मिले आरटीआई दस्तावेजों के आधार पर विजया मिश्रा ने अपनी शिकायत में इसका भी उल्लेख किया है कि अमन कुमार सिंह के खिलाफ चल रहा यह मामला अब भी पेंडिंग है, जिस वक्त उनके खिलाफ जांच चल रही थी, वह छत्तीसगढ़ में डेपुटेशन पर काम कर रहे थे. बाद में साल 2010 में उन्होंने इंडियन रिवेन्यू सर्विसेज से इस्तीफा दे दिया.
शिकायतकर्ता विजया मिश्रा ने कहा था कि 9 फरवरी 2010 को छत्तीसगढ़ सरकार ने नोटशीट जारी कर अमन कुमार सिंह को सचिव पद पर संविदा नियुक्ति दी थी. बाद में उन्हें प्रमुख सचिव के रूप में पदोन्नति दी गई. इससे पहले संविदा नियुक्ति के दौरान 25 जनवरी 2010 को जारी नोटशीट में यह लिखा गया कि अमन कुमार सिंह के खिलाफ किसी भी तरह की विभागीय जांच जारी नहीं है, लेकिन 2अगस्त 2010 को इस प्रकरण से जुड़ी एक नोटशीट में उनके खिलाफ विजिलेंस के एडिशनल कमिश्नर के हवाले से भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना किए जाने का संदर्भ मिलता है.