जम्मू। “बम बम भोले”, “जय बाबा बर्फानी” और “हर हर महादेव” के नारों के साथ शंखनाद करते हुए श्रद्धालुओं का पहला जत्था आज पहलगाम और बालटाल से अमरनाथ की यात्रा पर निकला. जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास आधार शिविर से 4,603 यात्रियों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. तीर्थयात्री सीआरपीएफ कर्मियों की सुरक्षा में 231 वाहनों के काफिले में कश्मीर के दो आधार शिविरों के लिए रवाना हुए.

अमरनाथ पहुंचने के 2 रास्ते

आप देश के किसी भी कोने में हैं, अब आसानी से अमरनाथ की यात्रा पर जा सकते हैं. बस, ट्रेन या फ्लाइट तीनों मार्ग से बाबा बर्फानी के दर्शन कर सकते हैं. ट्रेन या बस से आप कहीं से भी आ रहे हैं तो आपको कटरा तक आना होगा, वहीं फ्लाइट से आ रहे हैं तो आपको श्रीनगर आना होगा. अमरनाथ की गुफा तक जाने के दो रास्ते हैं. एक रास्ता पहलगाम की ओर जाता है तो दूसरा रास्ता सोनमर्ग होते हुए बालटाल की ओर से जाता है. कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी में एक मुसलमान गड़रिये ने इस गुफा को खोजा था. उस गड़रिये का नाम बूटा मलिक था.

दो महीने तक होंगे बाबा के दर्शन

बता दें कि आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होने वाले बाबा बर्फानी के दर्शन श्रावण पूर्णिमा तक चलते हैं. इस दौरान दो महीनों तक बाबा बर्फानी भक्तों को दर्शन देते हैं. भगवान शिव के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक अमरनाथ धाम में भगवान शिव के दुर्लभ और प्राकृतिक दर्शन होते हैं. अमरनाथ की पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी कब से विराज रहे हैं और उनके भक्त उनके दर्शन के लिए कब से वहां पहुंच रहे हैं, इसका कोई लिखित प्रमाण नहीं है. हालांकि, माना जाता है कि किसी वजह के चलते यह गुफा लोगों की स्मृतियों से लुप्त हो गई थी, फिर लगभग डेढ़ सौ साल पहले इसे फिर से खोजा गया.

साधुओं के पंजीकरण के लिए विशेष शिविर

52 दिवसीय तीर्थयात्रा 29 जून को दो मार्गों – अनंतनाग में पारंपरिक 48 किमी लंबे नुनवान-पहलगाम मार्ग और गांदरबल में 14 किमी छोटे, लेकिन कठिन बालटाल मार्ग- से शुरू होगी. श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक, शहर के शालीमार इलाके में अपंजीकृत तीर्थयात्रियों के लिए ऑन-द-स्पॉट पंजीकरण केंद्र स्थापित किया गया है, वहीं पुरानी मंडी स्थित राम मंदिर परिसर में साधुओं के पंजीकरण के लिए एक विशेष शिविर लगाया गया है.