प्रशांत सिंह, जांजगीर-चांपा। जांजगीर-चांपा जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। खोखसा ग्राम पंचायत के आश्रित गांव में अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से जिस हितग्राही के नाम पर पीएम आवास स्वीकृत हुआ था, उसकी राशि उसी नाम के दूसरे व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर कर दी गई। असली लाभार्थी अब पक्के मकान की स्वीकृत राशि के लिए जिला पंचायत कार्यालय के चक्कर काट रहा है। विभागीय अधिकारियों से शिकायत के बाद अब उसने कलेक्टर से गुहार लगाई है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

वैसे तो शासकीय रिकॉर्ड में खोखसा ग्राम पंचायत के आश्रित गांव खैरा निवासी इतवारी दास को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत तीन किस्तें जारी हो चुकी हैं, लेकिन उसका मकान आज भी कच्चा ही है। कारण जानकर आप हैरान हो जाएंगे। जी हां, इतवारी दास का नाम एक साल पहले प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए चयनित हुआ था, लेकिन उसकी राशि खोखसा गांव के ही ‘इतवारी’ नाम के एक अन्य व्यक्ति के खाते में भेज दी गई।

पहली किस्त जारी होने के बाद, उसी इतवारी दास के नाम पर निर्माणाधीन आवास की तीन बार जियो टैगिंग भी कर दी गई। इसमें पहली किस्त 12 सितंबर 2024 को 40,000 रुपये, दूसरी किस्त 1 जून 2025 को और तीसरी किस्त 2 जुलाई 2025 को जारी कर दी गई और पूरी राशि भी निकाल ली गई। अपने नाम से स्वीकृत आवास की जानकारी लेने जब वास्तविक हितग्राही जनपद पंचायत नवागढ़ जाकर पूछताछ की, तब इस भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ। अब इतवारी दास सरकार की योजना से वंचित करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर कलेक्टर से गुहार लगा रहा है।

इस मामले को पंचायत ने भी भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पार करना बताया। खोखसा सरपंच और पंचों ने कहा कि इतवारी दास का नाम पीएम आवास में पिछले सरपंच के कार्यकाल का है, जिसमें पात्र हितग्राही इतवारी दास का पक्का मकान निर्माण हुआ ही नहीं है और जनपद तथा जिला पंचायत के जिम्मेदार अधिकारियों ने एक साल में 1 लाख 45 हजार रुपये को तीन किस्तों में दूसरे खाते में डालकर गबन कर लिया है। जरूरतमंद इतवारी दास आज भी पक्का मकान बनाने का सपना देख रहा है। अब इतवारी दास को उसका अधिकार दिलाने के लिए ग्राम पंचायत भी पूरी मदद करेगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए शासन ने कलेक्टर को मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी दे दी है, लेकिन कलेक्टर की आंख में धूल झोंकने में जिले के अधिकारी-कर्मचारी माहिर हैं और आपसी सांठगांठ कर टूटे-फूटे मकान में रहने वाले हितग्राही को न केवल पक्का मकान से वंचित कर रहे हैं, बल्कि केंद्र सरकार की योजना में सेंध लगाकर ग़रीबों का पैसा बंदरबांट कर रहे हैं। इस साजिश में आवास मित्र से लेकर रोजगार सहायक, सचिव और जिला पंचायत के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठने लगा है, जो जाँच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।