चीन के वैज्ञानिकों ने एक बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने पहली बार दो नर (मेल) चूहों से बच्चे पैदा किए हैं, बिना मादा (फीमेल) के अंडाणु के डीएनए का इस्तेमाल किए।

शंघाई जियाओ टोंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दो मेल चूहों के स्पर्म (शुक्राणु) लिए और एक अंडाणु से उसका डीएनए हटा दिया। फिर उसमें मेल चूहों का डीएनए डाला गया। इस प्रक्रिया को “एंड्रोजेनेसिस” कहते हैं। इसके बाद डीएनए को एडिट करके भ्रूण विकसित किया गया।

वैज्ञानिकों ने 259 भ्रूणों को मादा चूहों में ट्रांसफर किया, लेकिन उनमें से सिर्फ दो बच्चे ही जिंदा रह सके। ये दोनों बड़े होकर स्वस्थ रहे और खुद से बच्चे भी पैदा किए।

VIDEO: राज ठाकरे को चुनौती देना पड़ा भारी ! MNS कार्यकर्ताओं ने Sushil Kedia के ऑफिस में की तोड़फोड़, बिजनेसमैन ने मांगी माफी

क्या इंसानों के लिए भी यह संभव होगा?

हालाँकि, यह वैज्ञानिक खोज रोमांचक है, लेकिन इसे इंसानों पर लागू करने में अभी काफी समय लगेगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसानों पर यह तरीका अभी बहुत मुश्किल और असुरक्षित है। इसमें बहुत सारे अंडाणु और सरोगेट की जरूरत पड़ती है, और सफलता की संभावना बहुत कम होती है।

इसके अलावा, अगर इंसानों में ये तकनीक अपनाई भी गई, तो बच्चे में मादा डोनर के माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए भी होंगे, यानी तकनीकी रूप से बच्चे में तीन लोगों का डीएनए होगा।

वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में यह तकनीक समलैंगिक जोड़ों को जैविक संतान पैदा करने में मदद कर सकती हैय इसके अलावा, यह विलुप्त हो रही प्रजातियों के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभा सकती है. लेकिन अभी इसमें कई तकनीकी और नैतिक चुनौतियाँ बनी हुई हैं.

‘उम्मीद है कि मैं 30-40 साल और जिंदा रहूंगा’, उत्तराधिकारी के चर्चा पर विराम लगाते हुए दलाई लामा

क्या भविष्य में माँ के बिना भी होगा जन्म?

यह सोचने में जितना असंभव लगता है, उतना ही रोमांचक भी है. फिलहाल यह प्रयोग सिर्फ एक वैज्ञानिक उपलब्धि तक सीमित है, लेकिन विज्ञान की दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नहीं. हो सकता है कि आने वाले दशकों में यह तकनीक इतनी उन्नत हो जाए कि इंसानों के लिए भी यह संभव हो जाए. आज जो साइंस फिक्शन लगता है, वह कल की सच्चाई बन सकता है.

जापान में भी हो चुका है ऐसा प्रयोग?

दिलचस्प बात यह है कि यह पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले जापान के चुशू यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने भी ऐसा ही प्रयोग किया था. उन्होंने दो नर चूहों से सेल निकालकर उससे एक अंडाणु (Egg) का निर्माण किया। फिर लैब में ही चूहे के भ्रूण का विकास किया गया.

इस प्रयोग में शामिल वैज्ञानिकों का मानना था कि आने वाले 10 साल में यह तकनीक इंसानों पर भी आज़माई जा सकती है. यदि यह सफल होता है, तो गे कपल के लिए बायोलॉजिकल पेरेंट्स बनना संभव हो जाएगा. यहाँ तक कि एक अकेला पुरुष भी अपनी जैविक संतान पैदा कर सकेगा.

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m