कपिल शर्मा, हरदा। 10वीं बोर्ड के विद्यार्थियों के पांव के नीचे से जमीन उस समय खिसक गई जब उन्हें बताया गया कि वे परीक्षा नहीं दे सकते। इस बात की जानकारी विद्यार्थियों ने परिजनों को दी। परिजन दौड़ते-भागते स्कूल पहुंचे तो स्कूल प्रबंधन ने बात करना भी मुनासिब नहीं समझा और सभी पैरेंट्स को बाहर का रास्ता दिखा दिया।

मामला शहर के सनफ्लॉवर स्कूल का है। कक्षा 10 वीं CBSE के 5 विद्यार्थियों को वर्षभर स्कूल में बैठाया और स्कूल फीस भी पूरी ली गई। साथ ही अर्धवार्षिक परीक्षा में भी शामिल किया गया। लेकिन जब वार्षिक परीक्षा की बारी आई तो उन्हें स्कूल से बाहर कर दिया गया। इसकी सूचना जब छात्रों को लगी तो उन्होंने अपने परिजनों को बताया। जब परिजनों बात करने स्कूल पहुंचे तो स्कूल प्राचार्य व प्रबंधन द्वारा सीधे मुंह बात न करते हुए स्कूल से बाहर कर दिया गया। स्कूल प्रबंधन की इस हरकत के बाद नाराज ABVP के कार्यकर्ता स्कूल पहुंचे और प्राचार्य कक्ष में जमकर नारेबाजी की।

दअरसल CBSE कक्षा 10 वीं के 5 छात्रों को परीक्षा एडमिट कार्ड नहीं मिलने पर बच्चों के परिजन और ABVP के कार्यकर्ता सनफ्लॉवर स्कूल पहुंचे। जहां प्राचार्य द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं मिलने से नाराज होकर उन्होंने पहले तो प्राचार्य कक्ष में बैठ कर नारेबाजी की। जब प्राचार्य अपने कक्ष से बाहर जाने लगे तो ABVP के कार्यकर्ताओं ने उन्हें कुर्सी से ही नहीं उठने दिया। कुछ कार्यकर्ता रास्ते पर बैठ गए और उन्हें बंधक बना लिया। हालांकि कुछ देर बाद सभी कार्यकर्ता बाहर आ गए और नारेबाजी करने लगे।

पूरे स्टाफ को बाहर निकालकर दरवाजे लगाकर मुख्य गेट पर बैठ गए। परिजनों और ABVP के कार्यकर्ता भूपेंद्र सिंह तोमर का कहना है स्कूल प्रबन्धन जब तक 5 विद्यार्थियों रोनित गौर निवासी रेलवा, निखिल गौर रेलवा, आशु मीणा हरदा, श्लोक दुरान हरदा, शिवराज बिल्लोरे हरदा की परीक्षा लेने का लिखित आश्वासन नहीं देता तब तक हम धरने पर बैठे रहेंगे। यदि बच्चों का साल खराब होता है तो हम स्कूल में ताला लगा देंगे एवं स्कूल की मान्यता रद्द करने की मांग भी करेंगे।

इस दौरान रोनित के पिता राजेश गौर ने पूर्व प्राचार्य पर एडमिशन के लिए डोनेशन मांगने का आरोप भी लगाया। उनका कहना है कि दसवीं में एडमिशन के लिए प्राचार्य ने 20- 20 हजार रुपये भी लिए थे। बच्चों को पूरे साल पढ़ाने के बाद अर्धवार्षिक परीक्षा भी ली गई। अब जब वार्षिक परीक्षा आई तो पांचों विद्यार्थियों को बाहर निकाल दिया। परिजनों ने कहा कि अगर हमारे बच्चों का भविष्य खराब हुआ और उनके साथ कोई अनहोनी हुई तो इसकी जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की रहेगी।

इस मामले में शिक्षण विकास समिति के अध्यक्ष प्रवीण जैसानी का कहना है कि मैनेजमेंट का काम होता है स्कूल में व्यवस्था देना। बाकी अन्य तकनीक काम जैसे पढ़ाई परिक्षा प्रेक्टिकल वे प्राचार्य देखते हैं। उसमें कोई दिक्कत आती है तो वो हमें सूचना देते हैं। यह समस्या सामने आई तब तक हमारे पास कोई सूचना नही आई। स्कूल के पूर्व प्राचार्य मनोज लुकोस द्वारा स्कूल छोड़कर चले गए हैं जिन्हें 21 अप्रैल को यह बुलाया गया था। उनसे चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि इसका जबाबदारी मैं लेता हूं। जो उन्होंने लिखित में देकर गए है। हम भी प्रयास कर रहे है कि सभी विद्यार्थी परीक्षा में बैठे।

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