छत्तीसगढ़ के बस्तर और मध्य प्रदेश के ग्वालियर के श्योपुर में ऐसा अद्भुत शिवलिंग है जो अपनी धुरी पर 360 डिग्री घूम जाता है. भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग की जलहरी को दिशा के अनुसार घुमाया जा सकता है. पहले जानते हैं दक्षिण बस्तर की ऐतिहासिक नगरी बारसूर में स्थित प्राचीन बत्तीसा मंदिर की विशेषताओं के बारे में.
यह मंदिर ना केवल अपने 32 खंभों की वजह से मशहूर है, बल्कि दोहरे गर्भगृह वाले इस अनूठे शिवालय की दोनों जलहरियां भी इसे और खास बनाती हैं. जलहरियां चारों दिशाओं में घुमाई जा सकती हैं, जिनका प्रयोग संभवतः अलग-अलग पौराणिक मान्यताओं वाले अनुष्ठानों में किया जाता रहा है. पूरे बस्तर संभाग में दो गर्भगृह वाला यह इकलौता शिवालय है.
मंदिर में दो गर्भगृह हैं दोनों गर्भगृह में त्रिरथ शैली में निर्मित शिवलिंग हैं. ये दोनों शिवालय सोमेश्वर महादेव और गंगाधरेश्वर महादेव के नाम से शिलालेख में दर्ज है. सन 1208 में नाग शासन काल में राजमहिषी गंगमहादेवी ने यह मंदिर बनवाया था. एक शिवालय अपने नाम पर और दूसरा शिवालय अपने पति महाराज सोमेश्वर देव के नाम पर नामकरण किया.
श्योपुर में 1100 साल पुराने गोविंदेश्वर महादेव मंदिर में प्रतिष्ठित शिवलिंग जो अपनी धुरी पर 360 डिग्री घूम जाता है. आमतौर पर शिवलिंग का मुख नंदी की प्रतिमा के ठीक सामने उत्तर दिशा में रहता है, लेकिन यहां कोई भी भक्त शिवलिंग की जलहरी को घुमाकर उसका मुख किसी भी दिशा में कर सकता है. किंवदंती तो यह भी प्रचलित है कि साल में एक बार यह शिवलिंग अपने आप भी घूम जाता है. आमतौर पर शिवालयों में शिवलिंग की जलहरी का मुख उत्तर की ओर रहता है. इनके सामने नंदी की प्रतिमा जरूर होती है. मध्यप्रदेश के श्योपुर में के छत्री चौक पर गोविंदेश्वर महादेव मंदिर में प्रतिष्ठत शिवलिंग दक्षिणमुखी है.
294 साल पहले सोलापुर से लाया गया था गोविंदेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग. घूमने वाले इस शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा श्योपुर के गौड़ वंशीय राजा पुरुषोत्तम दास ने 1722 में करवाई थी. गोविंदेश्वर महादेव मंदिर में प्रतिष्ठित इस शिवलिंग को सोलापुर महाराष्ट्र में स्थापित था. शिव भक्त गौड़ राजाओं ने अपने अपने आराध्य के नाम से ही शिवपुर बसाया था, जो आज श्योपुर के नाम से जाना जाता है.
छत्तीसगढ़ के बत्तीसा शिव मंदिर का वीडियो
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