Business Desk. भारतीय कॉरपोरेट इतिहास में जब भी बड़े बदलावों की चर्चा होती है, मुकेश अंबानी का नाम सबसे ऊपर आता है. अब एक बार फिर अंबानी देश के कंज्यूमर प्रोडक्ट सेक्टर में ऐसी पहल करने जा रहे हैं, जो न सिर्फ बाजार की दिशा बदल सकती है, बल्कि निवेशकों की धड़कन भी बढ़ा सकती है.

Reliance Industries Limited अब 15 से ज्यादा ब्रांड्स को मिलाकर ‘New Reliance Consumer Products Limited’ (NRCPL) नाम से एक नई कंपनी बना रही है. यह कंपनी करीब ₹8.5 लाख करोड़ की वैल्यूएशन के साथ IPO लाने की तैयारी में है.
किन ब्रांड्स को मिलाया जा रहा है?
रिलायंस की मौजूदा रिटेल यूनिट के तहत काम कर रहे Campa Cola, Independence, Toffeeman, Glimmer और कई अन्य घरेलू उत्पाद इस नई कंपनी में शामिल होंगे. सभी ब्रांड्स को “Mass Appeal with Smart Pricing” यानी व्यापक पहुंच और स्मार्ट कीमत की रणनीति के तहत रीपोजिशन किया जाएगा.
इस यूनिट का मकसद सिर्फ मुनाफा कमाना नहीं है, बल्कि महानगरों से लेकर ग्रामीण भारत तक हर उपभोक्ता वर्ग में अपनी मजबूत उपस्थिति बनाना भी है.
भारत का अब तक का सबसे बड़ा IPO?
रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (RRVL) की मौजूदा वैल्यू ₹8.5 लाख करोड़ से ज्यादा आंकी जा रही है. अगर NRCPL को इससे डीमर्ज कर अलग कंपनी के रूप में शेयर बाजार में लिस्ट किया जाता है, तो यह IPO भारत के इतिहास का सबसे बड़ा सार्वजनिक निर्गम बन सकता है.
हाल ही में NCLT (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) ने इस डीमर्जर को मंजूरी दे दी है. इसका मकसद FMCG सेक्टर में फोकस्ड वैल्यूएशन और सेक्टर-विशेष निवेशकों को आकर्षित करना बताया जा रहा है.
आक्रामक रणनीति: सस्ती कीमतें, ज्यादा मुनाफा
रिलायंस की यह योजना पारंपरिक मुनाफे के मॉडल को चुनौती देने वाली मानी जा रही है. कंपनी के उत्पाद कोका-कोला, मोंडेलेज और ITC जैसे बड़े ब्रांड्स की तुलना में 20–40% तक सस्ते होंगे.
साथ ही रिटेलर्स को भी ज्यादा मार्जिन दिया जाएगा, ताकि बाजार में तेजी से गहराई तक प्रवेश किया जा सके. सप्लाई चेन पूरी तरह रिलायंस के नियंत्रण में होगी, जिससे लागत घटेगी और डिस्ट्रीब्यूशन में गति आएगी. यह एक ऐसा “डिसरप्शन प्लान” है, जो FMCG जगत में हलचल मचा सकता है.
डीमर्जर क्यों जरूरी?
रिलायंस का मानना है कि हर बिजनेस की अपनी कहानी होती है. NRCPL को रिटेल से अलग करना जरूरी है, ताकि इसकी स्वतंत्र पहचान बन सके.
कंपनी के मुताबिक इससे:
- ब्रांड बिल्डिंग में ज्यादा निवेश की आज़ादी मिलेगी,
- फोकस्ड निवेशक और बोर्ड आ सकेंगे,
- और वैल्यूएशन ज्यादा प्रीमियम पर हो सकेगी.
कॉर्पोरेट ट्रेंड में अंबानी भी शामिल
मुकेश अंबानी इस राह पर अकेले नहीं हैं. टाटा मोटर्स, आदित्य बिड़ला फैशन, रेमंड, वेदांता, सीमेंस जैसी कई बड़ी कंपनियां भी स्पिन-ऑफ स्ट्रैटेजी अपना चुकी हैं.
हाल ही में सीमेंस इंडिया ने अपनी एनर्जी यूनिट को डीमर्ज कर अलग लिस्ट किया. दोनों कंपनियों की संयुक्त वैल्यू डीमर्ज से पहले करीब ₹1 लाख करोड़ थी, जो अब बढ़कर ₹2.14 लाख करोड़ हो गई है.
“मिडिल इंडिया” पर खास नजर
NRCPL की रणनीति केवल महानगरों तक सीमित नहीं होगी. इसका फोकस “मिडिल इंडिया” यानी भारत के मध्यवर्गीय और ग्रामीण उपभोक्ता पर होगा. यही वह उपभोक्ता वर्ग है, जहां असली वॉल्यूम और स्केल मौजूद है.
इससे रिलायंस को बड़े पैमाने पर बाजार में फुटप्रिंट बनाने, वॉल्यूम से वैल्यू हासिल करने और नकदी प्रवाह में बढ़त का फायदा मिलेगा.
निवेशकों के लिए गेमचेंजर मौका
IPO से पहले ही NRCPL को लेकर बाजार में उत्सुकता बढ़ गई है. FMCG सेक्टर एक डिफेंसिव सेक्टर माना जाता है — यानी मंदी के दौर में भी स्थिरता बनाए रखता है.
रिलायंस का मजबूत ब्रांड ट्रस्ट और विशाल डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क इसे पहले दिन से ही बढ़त देगा. जानकारों का अनुमान है कि रिलायंस इस IPO में 10% से भी कम हिस्सा बेचकर ₹80,000 करोड़ तक जुटा सकता है.
बन सकता है भारत का अगला FMCG दिग्गज?
मुकेश अंबानी का यह कदम सिर्फ एक नई कंपनी बनाने की कोशिश नहीं है. यह “Mass-oriented, Margin-sensitive, Brand-intensive FMCG” फिलॉसफी की शुरुआत मानी जा रही है. यह रणनीति FMCG सेक्टर में epochal event साबित हो सकती है, जो Investors के लिए ऐतिहासिक मौका और Competitors के लिए एक बड़ा चैलेंज होगी.
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