रायपुर..राजधानी रायपुर स्थित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध अम्बेडकर अस्पताल प्रबंधन ने अपने अस्पताल में 24 घण्टे में कथित रूप से सात बच्चों की मौत के बारे में मीडिया में आई खबरों को गलत और भ्रामक बताया है। अस्पताल प्रबंधन की ओर से आज शाम यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति में चार बच्चों की मृत्यु के बारे में वस्तुस्थिति की जानकारी दी गई है। इन बच्चों की मौत पर अस्पताल प्रबंधन ने गहरा दुःख व्यक्त किया है। अस्पताल अधीक्षक सह-संयुक्त संचालक के हस्ताक्षर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि चार बच्चों को अलग-अलग दिनों में उनके परिजनों द्वारा अन्य अस्पतालों से गंभीर अवस्था में अम्बेडकर अस्पताल लाया गया था, जहां डॉक्टरों ने उन्हें बचाने का अथक प्रयास किया। अस्पताल अधीक्षक की प्रेस विज्ञप्ति में दी गई जानकारी इस प्रकार है:-
निजी अस्पताल बाल गोपाल से गंभीर अवस्था में लाये थे बेबी को अंबेडकर में
निजी चिकित्सालय बाल गोपाल अस्पताल से गंभीर स्थिति में बेबी ऑफ लीना सोनी को डॉ.भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय में भर्ती किया गया था। बाल गोपाल निजी अस्पताल में 15 दिन भर्ती रहने के बाद बेबी की स्थिति जब गंभीर हो गई तब उसे अंबेडकर अस्पताल में रिफर किया गया था । बच्ची का वजन कम होने के साथ-साथ उसे सेप्सिस एवं शॉक की समस्या थी। बेबी का संपूर्ण उपचार शिशु वार्ड के नवजात शिशु गहन चिकित्सा ईकाई में किया गया। बेबी को बीमारियां होने के कारण उनकी स्थिति नाजुक थी और गंभीर अवस्था में उसे निजी अस्पताल से शासकीय अस्पताल मेकाहारा में लाया गया । चिकित्सकों ने बेहतर चिकित्सकीय सुविधा व उपचार 48 दिन तक किया । इसके बावजूद बेबी ऑफ लीना सोनी को नहीं बचाया जा सका। बेबी ऑफ लीना सोना पिता राकेश सोनी उम्र 48 दिन (1 माह 18 दिन)/पुरुष, पता कुशालपुर, रायपुर भर्ती दिनांक 29.12.2017 मृत्यु 11.01.18 (प्रातः3.00) बीमारी व डायग्नोस- एक्सट्रीमली लो वेट (1400 ग्राम वजन) विद सेप्सिस एंड शॉक था ।
मो. मोसीन को भी अन्य अस्पताल से लाया गया था अंबेडकर अस्पताल में इनसेफेलाईटिस के साथ गैस्पिंग अवस्था व श्वांस अवरोध व ब्रेन डेड होने के कारण गंभीर अवस्था में था
इसी प्रकार अंबेडकर अस्पताल के चिकित्सक ने बताया कि मोहम्मद मोसीन पिता मो. सकील उम्र 14 वर्ष राजिम जिला गरियाबंद को अन्य अस्पताल से इनसेफेलाईटिस के साथ-साथ गैस्पिंग अवस्था में भर्ती किया गया । उसे रेसापाइरेटरी फेल्योर (श्वांस अवरोधक) होने के कारण वेंटीलेटर पर रखा गया । साथ ही साथ श्री मोसीन को ब्रेन डेड हो चुका था जिसके कारण शरीर के अन्य अंग भी काम करना बंद कर दिया था । चिकित्सकों के द्वारा बेहतर चिकित्सकीय सुविधा कराने के बाद भी मो.मोसीन को नहीं बचाया जा सका । मो. मोसीन को जब डॉ. अंबेडकर अस्पताल में भर्ती किया गया था उस समय वह गंभीर अवस्था में था । उनका पुर्नसुधार की संभावना नहीं के बराबर थी फिर भी चिकित्सकों ने मरीज के परीजनों को इस संबंध में पूरी जानकारी व स्थिति से अवगत करा दिया गया था । मृतक के परीजनों को पोस्टमार्टम करने के लिए कहा गया परंतु उनके परीजनों ने मना कर दिया ।
राजनांदगांव से गंभीर स्थिति में आयी थी बेबी भव्या
01 महीने की बेबी भव्या राजनांदगांव के जिला चिकित्सालय से सीवियर निमोनिया तथा सस्पेक्टेड कंजनाइटल हार्ट डिजीज के शिकायत के साथ चिकित्सालय में भर्ती हुई थी। मरीज की स्थिति गंभीर होने के कारण उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। बेबी भव्या दिनांक दिनांक 9.01.18 को भर्ती हुई थी और दूसरे दिन यानी 10.01.18 को दोपहर 2.30 बजे बच्ची की मृत्यु हो गई। अथक प्रयास के बाद भी बच्ची को नहीं बचाया जा सका।
अंतिम समय में पहुंची अस्पताल मरीज को केवल सीपीआर दिया जा सका
एक वर्षीय बच्ची वेदकुमारी पिता प्रेमलाल 10.01.18 को रात 9.40 बजे महासमुंद से गेस्पिंग की स्थिति में आयी थी। मरीज को मेंनिग्जाइटिस होने के कारण चिकित्सालय में पहुंचने से पहले ही स्थिति अत्यंत गंभीर थी जिसके कारण चिकित्सालय में लाने के साथ ही लगभग दो घंटे के उपरांत यानी 10.01.18 को 11.45 मिनट में ही मृत्यु हो गयी थी। मरीज को इस दौरान केवल सीपीआर (चेस्ट कंप्रेशन) ही दिया जा सका।
अगर निजी चिकित्सालय से अंतिम अवस्था में यदि मरीज को अंबेडकर चिकित्सालय में रिफर किया जाता है तो उसका प्रबंधन अत्यंत कठिन होता है। जिसके कारण मरीज गंभीर अवस्था में होने के कारण उसे अथक प्रयास करने के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सकता ।