सत्यपाल सिंह, रायपुर। छत्तीसगढ़ में अंबेडकर अस्पताल की व्यवस्था हमेशा सवालों और विवादों के घेरे में रहा है. इस वक्त के सबसे बड़ी खबर ये है कि बीते दिनों से मेकाहारा में पोस्टमार्टम नहीं हो रहा है. परिजन शव लेने के लिए इतने परेशान हैं कि उन्हें अब प्रदर्शन करने की जरूरत पड़ रही है. शव नहीं मिलने के चलते अंतिम संस्कार कार्यक्रम रुका हुआ है. अब परिजनों को ये समझ नहीं आ रहा है कि वे करें तो करें क्या. क्योंकि अंबेडकर अस्पताल में कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. ऐसे में अब उन्होंने मीडिया के माध्यम से स्वास्थ्य मंत्री से व्यवस्था जल्द से जल्द दुरस्त करने की गुहार लगाई है.

अब देखिए स्वास्थ्य मंत्री जी आप ही कुछ करिए क्योंकि यहाँ तो सिस्टम अपने हिसाब ही काम कर रहा है. lalluram. com  अपनी पीड़ा को कहते हुए पोस्टमार्ट का इंतजार कर रहे मृतक के परिवार रोने लगे. उन्होंने रोते-बिलखते यही कहा कि दुःख की इस घड़ी में यहाँ और दुःखी हो रहे हैं उन्हें सुनने वाले कोई है नहीं. अपनी पीड़ा वो कहाँ-कहाँ जाकर कहे, किस-किस कहे. मृतक परिवारवालों यह भी बताया कि सुनने में आया है कि पोस्टमार्ट के कर्मचारी जल्दी पीएम कराने का दलाली करते हैं. सुनने में जो पैसा दे रहे उनका पीएम जल्दी हो जाता है.

पोस्टमार्ट कराने के लिए दो दिन से मर्चुरी में इंतजार करते बैठै अनिल बताया कि वे अपने पिता का पीएम कराने के लिए कल से चक्कर काट रहे हैं. लेकिन उनके पिता पीएम अब तक नहीं हो सका है. घर वाले लगातार फोन कर पूछ रहे हैं कि अंतिम संस्कार की तैयारियां पूरी हो गई है शव घर कब आएगा मैं क्या जवाब दूँ.

वहीं यही पीड़ा तेलीबांधा के रहने वाले कुमार ने भी कही. जो मर्जुरी के बारे बैठे इंतजार कर रहा कि अब उन्हें उनकी लड़की शव सौंपा जाएगा. कुमार भी कल दोपहर से मर्जुरी में बैठा हुआ लेकिन अब तक पोस्टमार्टम नहीं हो सका है. यही हाल दुर्ग से भी पोस्टमार्ट कराने पहुँचे लोगों का भी है.

फिलहाल इस समस्या को सुलाझने की दिशा में कहीं से कोई पहल होते दिखाई नहीं दे रहा है. अंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक विवेक चौधरी ने कहा कि फिलहाल पीएम घर में डॉक्टरों की कमी है. हमने एक दिन में 10 पोस्टमार्टम करने के निर्देश दिए हैं.

तो निर्देशों से ही व्यवस्था सुधारने की कवायद हो रही है. लेकिन सिस्टम ठीक ही नहीं हो रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री जी अब आप ही कोई कड़े कदम उठाइए ताकि व्यवस्था दुरस्त होने के साथ पीड़ितों को राहत भी मिले, न्याय भी.