अंबिकापुर-  2008 के परिसीमन के बाद इस क्षेत्र की सीमाएं बदली और अनुसुचित जनजाति से यह एक सामान्य सीट बनी. यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट है इस सीट 40 सालों से कांग्रेस ने शासन किया है. केवल 2003 विधानसभा चुनाव में ही बीजेपी ने इस सीट पर अपनी जीत दर्ज की थी. सरगुजा जिले की अंबिकापुर विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने शहरों में से एक है. छत्तीसगढ़ में रेल कनेक्टविटी, बड़े स्कूल, अन्य चीजें मौजूद हैं. लेकिन ये क्षेत्र अधिकतर खेती पर निर्भर है, अंबिकापुर का करीब 40 फीसदी इलाका कृषि से ताल्लुक रखता है. इसलिए इन चुनावों से यहां के किसानों को बड़ी आस है.

कौन कौन है मैदान में-

कांग्रेस- टी.एस सिंह देव

बीजेपी- अनुराग सिंह देव

बसपा- सीताराम

आम आदमी पार्टी- साकेत त्रिपाठी

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी- टी.एस

मतदाता-

कुल मतदाता- 2,17,808

महिला मतदाता- 1,08,012

पुरूष मतदाता-  1,09,776

2013 विधानसभा चुनाव, सामान्य सीट

टी.एस. बाबा, कांग्रेस, कुल वोट मिले 84668

अनुराग सिंह देव, बीजेपी, कुल वोट मिले 65110

क्या हैं जनता के स्थानीय मुद्दे-

  1. स्वस्थ्य सुविधाओं और सड़कों की बदहाली एक बड़ा मुद्दा है.
  2. किसानों को कृषि बीमा का लाभ नहीं मिलना.
  3. पेयजल की समस्या क्षेत्र का एक बड़ा मुद्दा है.
  4. कई इलाकों में हाथी आतंक का खतरा बना रहता है.
  5. सिंचाई का मुद्दा भी यहां महत्वपूर्ण है.

क्या कहता है समीकरण-

कांग्रेस- सरगुजा रियासत के महाराज और नेता प्रतिपक्ष टी.एस सिंहदेव को कांग्रेस ने टिकट दिया है. अपने सरल व्यवहार के चलते जनता के बीच टीएस खासे लोकप्रिय रहते हैं. क्षेत्र की जनता के लिए टीएस बाबा हमेशा ही उपलब्ध रहते है. अपने कार्यकाल के दौरान टीएस बाबा ने विकास क्षेत्र में काफी काम किए, जिसके चलते जनता उनके काम से संतुष्ट नज़र आ रही है. आपको बता दें कि 2013 में भी टीएस सिंहदेव इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं. जनता के बीच उनकी छवि और व्यक्तित्व को देखते हुए इन्हे एक बार फिर मैदान में उतारा गया. गौरतलब है कि टीएस सिंहदेव राजपिरवार से हैं और संपत्ति के मामले में भी सभी नेताओं से कहीं आगे हैं.

बीजेपी- अनुराग सिंहदेव की अगर बात की जाए तो ये इस सीट पर एक प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. और 2008 के चुनाव में अनुराग, टीएस सिंहदेव से मात्र 948 वोटों से पीछे रह गए थे. लेकिन इस बार अनुराग सिंहदेव ने चुनावी दंगल के लिए अपनी कमर कस ली है. अनुराग सिंहदेव ने 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में टीएस सिंहदेव को टक्कर दी थी. इस बार भी अनुराग टीएस सिंह देव के खिलाफ शंखनाद कर चुनावी जंग में पूरी तैयारी के साथ उतरे हैं. अगर इतिहास को खंगाले तो पता चलता है कि भारतीय जनता पार्टी को यहां आखिरी बार जीत 2003 के विधानसभा चुनाव में ही नसीब हुई थी. कमलभान सिंह ने इस सीट पर भाजपा का खाता खोला था. इस बार 2018 के चुनाव में अनुराग जनता से ये कहकर वोट मांग रहे कि वे लगातार 2 साल से चुनाव हार रहे हैं इसलिए इस बार उन्हे जनता की सेवा का मौका मिलना चाहिए.

बसपा, आम आदमी पार्टी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी- इस सीट पर हमेशा से ही बीजेपी और कांग्रेस का सीधी टक्कर होती है अन्य पार्टियों की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं होती. इस बार तीनों ही पार्टियों के प्रत्याशी मैदान में है. बसपा और जकांछ की बात करें इन्हे आदिवासी समाज के वोट मिल सकते है लेकिन इन्हे मिलने वाले वोट हार जीत को प्रभावित नहीं करते.

इस सीट पर कांटे का मुकाबला है. यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है. अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस एक बार फिर इस सीट पर जीत का ताज पहनेगी या फिर जनता बीजेपी को मौका देगी.