बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए 2019 की तरह 2020 भी रोमांच से भरा रहने वाला है. इसरो अध्यक्ष के सिवान ने बताया कि चंद्रयान-3 के लिए सरकार ने अपनी सहमति दे दी है. वहीं भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष यान के लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों की पहचान की जा चुकी है, जिन्हें प्रशिक्षण के लिए रूस भेजा जाएगा.
इसरो अध्यक्ष सिवान ने नए वर्ष में 2020 के लिए संगठन का खाका प्रस्तुत करते हुए बताया कि चंद्रयान-3 के लिए सरकार की सहमति मिलने के साथ ही टीम ने काम करना शुरू कर दिया है. इस प्रोजेक्ट पर करीबन 600 करोड़ रुपए खर्च आएगा. गगनयान के साथ ही चंद्रयान-3 का भी काम साथ-साथ चलेगा. इसमें 14 से 16 महीने लग जाएंगे, इस वजह से वर्ष 2021 में चंद्रयान-3 उड़ान भरेगा. इसमें चंद्रयान-2 की ही तरह रोवर, लैंडर और प्रापोल्यूशन होंगे. उन्होंने बताया कि चंद्रयान-3 के उतरने के स्थान में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा.
गगनयान की जानकारी देते हुए सिवान ने बताया कि अभियान के लिए वायुसेना से चार अंतरिक्ष यात्रियों का चयन कर लिया गया है, जो जनवरी माह के तीसरे सप्ताह में मेडिकल चेकअप के लिए रूस जाएंगे. इसके बाद रूस में ही इनको प्रशिक्षण दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि गगनयान में दो मानवरहित और एक मानवसहित अंतरिक्ष की उड़ान होगी. इसमें माइक्रोग्रेविटी के अलावा बायोसाइंस से जुड़े छह वैज्ञानिक शोध किए जाएंगे.
चंद्रयान-3 और गगनयान के अलावा इसरो तमिलनाडु के तुतीकोरन में अपना दूसरा अंतरिक्ष केंद्र बनाने जा रही है, जिसके लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई है. सिवान ने बताया कि अंतरिक्ष केंद्र 2300 एकड़ में फैला होगा. इसके अलावा पहले से ही स्माल सैटेलाइट लांच व्हीकल (एसएसएलवी) को इस वर्ष लांच किया जाएगा, इनमें से कुछ शुरुआत लांच श्रीहरिकोटा से किए जाएंगे. इसके अलावा इसरो वर्ष 2020 में 25 सैटेलाइट लांच करने की योजना पर काम कर रहा है.