आशुतोष तिवारी, जगदलपुर. बस्तर में एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था देखेने को मिली, जहां एम्बुलेंस के इंतजार में नाबालिग तड़पता रहा. ग्रामीण पांच घंटे तक 108 एम्बुलेंस का इंतजार करते रहे पर नहीं आया. इसके बाद परिजनों ने प्राइवेट स्कॉर्पियो वाहन बुक कर बच्चे को अस्पताल लेकर गए. मामला दंतेवाड़ा और बस्तर जिले के शरहद में बसे बस्तर जिले के ग्राम पंचायत एरपुंड के कचेनार का है.

ग्रामीणों के बताए अनुसार गुरुवार शाम करीब चार बजे कमलू पिता पंडरू उम्र लगभग 14 वर्ष इमली तोड़ने के लिए झाड़ में चढ़ा था, तभी वह इमली झाड़ से फिसलकर गिर गया. शाम हो जाने और सड़क न होने के कारण पीड़ित कमलू को रातभर जंगली जड़ी बूटी के सहारे कचेनार गांव में रखकर शुक्रवार सुबह अस्पताल ले जाने खाट से 10 किमी ढोकर सुबह अपने परिजनों के यहां एरपुंड पंचायत के मालेवाही लाया गया. यहां कमलू के परिजनों ने सुबह 9 बजे से 108 से संपर्क कर रहे थे.

108 के कर्मचारियों द्वारा 1 घंटे का समय दिया गया था, लेकिन सुबह 9 से दोपहर 2 बजे तक ग्रामीण 108 से संपर्क कर एम्बुलेंस का इंतजार करते रहे. इस बीच ग्रामीणों ने सात से आठ बार 108 को संपर्क किया. घंटों बीत जाने के बाद पीड़ित की परेशानी को देखते हुए परिजनों ने दंतेवाड़ा जिले के बारसूर आकर प्राइवेट स्कॉर्पियो वाहन बुक करवाया और पीड़ित को लगभग 3 बजे बारसूर अस्पताल ले गया. दरसअल एरपुंड से जिला मुख्यालय बस्तर की दूरी लगभग 120 से 130 किमी है और दंतेवाड़ा जिले की दूरी 35 किमी है. शरहदी गांव होने के कारण शासन-प्रशासन के अधिकारी ऐसे गांवों में ध्यान ही नहीं देते.