रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के अनुरूप नियमों से संशोधन करते हुए छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों को अधिक वित्तीय अधिकार देने वाली अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित कर दी गई है. छत्तीसगढ़ नगर पालिका (मेयर इन काउंसिल/ प्रेसिडेंट इन काउंसिल के कामकाज का संचालन तथा प्राधिकारियों की शक्तियां एवं कर्तव्य) नियम 1998 में संशोधन करते हुए अब नगर पालिका आयुक्तों, मेयर इन काउंसिल, निगम, मुख्य नगर पालिका अधिकारियों, प्रेसिडेंट इन काउंसिल और परिषद के वित्तीय अधिकारों की सीमा में बढ़ोतरी की गई है.

राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना के अनुसार 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर पालिका निगम में नगर पालिका आयुक्त को डेढ़ करोड़ रुपये तक, मेयर इन काउंसिल को डेढ़ करोड़ से 6 करोड़ रुपये तक और निगम को 6 करोड़ रुपये से 10 करोड़ रुपये तक वित्तीय अधिकार दिए गए हैं.

वहीं तीन लाख से ज्यादा लेकिन 10 लाख से कम जनसंख्या वाले नगर पालिका निगम में नगर पालिका आयुक्त को एक करोड़ रुपये, मेयर इन काउंसिल को एक करोड़ रुपये से 3 करोड़ रुपये तक और निगम को 3 करोड़ रुपये से 10 करोड़ रुपये तक वित्तीय अधिकार दिए गए हैं.

तीन लाख तक के जनसंख्या वाले नगर पालिक निगम में नगर पालिका आयुक्त को 50 लाख रुपये, मेयर इन काउंसिल को 50 लाख रुपये से 2 करोड़ रुपये तक और निगम को 2 करोड़ रुपये से 6 करोड़ रुपये तक के वित्तीय अधिकार दिए गए हैं.

50 हजार या उससे अधिक जनसंख्या वाले नगर पालिका परिषद में मुख्य नगर पालिका अधिकारी को 2 लाख रुपये, प्रेसिडेंट-इन-काउंसिल को 2 लाख रुपये से 60 लाख रुपये तक और परिषद को 60 लाख रुपये से 4 करोड़ रुपये तक वित्तीय अधिकार दिए गए हैं. 50 हजार से कम जनसंख्या वाले मुख्य नगर पालिका अधिकारी को एक लाख रुपये, प्रेसिडेंट-इन-काउंसिल को एक लाख से 30 लाख रुपये तक और परिषद को 30 लाख से ढ़ाई करोड़ रुपये तक के वित्तीय अधिकार दिए गए हैं.

नगर पंचायत के वित्तीय अधिकारों में बढ़ोतरी करते हुए मुख्य नगर पालिका अधिकारी को 50 हजार रुपये तक, प्रेसिडेंट-इन-काउंसिल को 50 हजार से 20 लाख रुपये तक और परिषद को 20 लाख रुपये से डेढ़ करोड़ तक के वित्तीय अधिकार दिए गए हैं.

इसे भी पढ़े : 27% ओबीसी आरक्षण पर आमने-सामने : बीजेपी ने कहा वादाखिलाफी कर रही सरकार, कांग्रेस ने कहा- राज्य और केंद्र दोनों की जवाबदारी, केंद्र से बात करे भाजपा