भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का कारण पहलगाम में हुआ आतंकी हमला है, जो किसी से छिपा नहीं है. पाकिस्तान लगातार सीजफायर का उल्लंघन कर भारत को provocate कर रहा है. इस स्थिति के बीच, भारत ने अमेरिका के साथ एक महत्वपूर्ण सैन्य समझौता किया है, जिसमें समुद्री निगरानी तकनीक और उपकरणों की बिक्री शामिल है. यह सौदा इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (IPMDA) कार्यक्रम के तहत हुआ है, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और निगरानी को सुदृढ़ करना है. यह सौदा 13 करोड़ डॉलर का है. भारत ने अमेरिका से Sea Vision सॉफ्टवेयर, तकनीकी सहायता क्षेत्र टीम (TAFT) प्रशिक्षण, रिमोट सॉफ्टवेयर और विश्लेषणात्मक समर्थन, साथ ही अन्य उपकरणों की खरीद के लिए अनुरोध किया था.
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Sea Vision सॉफ्टवेयर एक वेब-आधारित समाधान है, जो समुद्री गतिविधियों की निगरानी के लिए विकसित किया गया है. यह सॉफ्टवेयर भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार कुछ विशेष सुधारों के साथ आता है. इसके माध्यम से समुद्री सीमाओं में जहाजों की गतिविधियों, अवैध कार्यों और पर्यावरणीय खतरों पर प्रभावी निगरानी की जा सकती है.
अमेरिकी विशेषज्ञों की एक टीम तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण (TAFT) के तहत भारत में प्रशिक्षण प्रदान करेगी, जिससे भारतीय नौसेना और अन्य बल इस तकनीक का कुशलता से उपयोग कर सकें. इसके साथ ही, रिमोट सपोर्ट सॉफ्टवेयर और डेटा विश्लेषण के लिए दूरस्थ तकनीकी सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी.
यह समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को सुदृढ़ करेगा. अमेरिका भारत को एक प्रमुख रक्षा साझेदार मानता है, जो इंडो-पैसिफिक और दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिए आवश्यक है. अमेरिकी रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (DSCA) के अनुसार, यह सौदा क्षेत्रीय सैन्य संतुलन पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं डालेगा और इसके लिए अमेरिकी सैन्य कर्मियों की भारत में तैनाती की आवश्यकता नहीं होगी.
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