Birthright Citizenship: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) को दूसरे कार्यकाल में पहला बड़ा झटका लगा है। अमेरिका (America) की कोर्ट ने बर्थराइट सिटिजनशिप (जन्मजात नागरिकता) खत्म करने के ऑर्डर पर रोक लगा दी है। अमेरिका की फेडरल कोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के जन्मजात नागरिकता अधिकार समाप्त करने के फैसले पर 14 दिनों के लिए रोक लगा दी। फेडरल कोर्ट के जज जॉन कफनौर ने वॉशिंगटन, एरिजोना, इलिनोइस और ओरेगन राज्य की याचिका पर यह फैसला सुनाया। कोर्ट के इस फैसले के बाद लाखों भारतीय को बड़ी राहत मिली है, वहां बच्चे को जन्म देकर नागरिकता हासिल करना चाहते थे।
जस्टिस जॉन कॉफनर ने कहा कि राष्ट्रपति का आदेश ‘स्पष्ट रूप से असंवैधानिक’ है। यह आदेश अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन का उल्लंघन करता है, और अब इस पर कानूनी लड़ाई का सामना करना पड़ रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप कोर्ट के फैसले के बाद अब ऊपरी अदालत में इसके खिलाफ य़ाचिका दायर करेंगे।
CNN के रिपोर्ट के मुताबिक, फेडरल कोर्ट के जस्टिस जॉन कॉफनर ने वाशिंगटन राज्य के अटॉर्नी जनरल निक ब्राउन और डेमोक्रेटिक नेतृत्व वाले राज्यों के एक आपातकालीन अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. ताकि कानूनी चुनौती के लिए अगले 14 दिनों के लिए आदेश को रोक दिया जा सके। वहीं, जस्टिस कॉफनर ने यहां तक पूछा कि जब इस आदेश पर हस्ताक्षर करने का निर्णय लिया गया था, तब वकील कहां थे। जस्टिस कॉफनर ने कहा, ‘मैं 4 दशकों से बेंच पर हूं। मुझे कोई दूसरा मामला याद नहीं है जिसमें दिए गए सवाल इतना साफ हो। उन्होंने पूछा कि जब इस आदेश पर हस्ताक्षर करने का निर्णय लिया गया था, तब वकील कहां थे। साथ ही कहा कि यह उनके दिमाग को चकित कर रहा था कि बार का एक सदस्य आदेश को संवैधानिक होने का दावा करेगा।
राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद खत्म किया था नियम
ट्रंप 20 जनवरी को अपने दूसरे कार्यकाल के लिए अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी, और तभी उन्होंने बर्थराइट से संबंधित नागरिकता के नियमों को समाप्त करने का आदेश जारी किया था। बर्थराइट सिटिजनशिप पर ट्रंप के फैसले के खिलाफ डेमोक्रेट्स के नेतृत्व वाले चार राज्यों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मामले की सुनवाई के बाद यूएस डिस्ट्रिक्ट जज जॉन कॉफनर ने ट्रंप को इस आदेश को लागू करने से रोक दिया। कोर्ट ने एक आदेश में ट्रंप के ऑर्डर पर अस्थायी रूप से रोक लगाई है।
लाखों भारतीय को मिली राहत
बता दें कि कोर्ट के इस फैसले के बाद लाखों भारतीय को बड़ी राहत मिली है, वहां बच्चे को जन्म देकर नागरिकता हासिल करना चाहते थे। दरअसल ट्रंप का कानून 20 फरवरी से अमेरिका में लागू होता। उससे पहले वहां के अस्पतालों में सी सेक्शन (Caesarean section) यानि सर्जरी के जरिए बच्चे को जन्म देने के मामले बढ़ गए थे। अवैध रूप से या वीजा पर रह रही प्रेग्नेंट महिलाएं समय से पहले इसलिए डिलीवरी करवा लेना चाहती हैं ताकि उनके बच्चे को अमेरिका (United States) की नागरिकता (Citizenship) मिल जाए और बच्चे की इस वजह से उन्हें और उनके पति को अमेरिका में रहने की कानूनी मदद मिल जाए।
ट्रम्प के आदेश का भारतीयों पर असर
अमेरिकी सेंसस ब्यूरो के 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में करीब 54 लाख भारतीय रहते हैं। यह अमेरिका की आबादी का करीब डेढ़ फीसदी है। इनमें से दो-तिहाई लोग फर्स्ट जेनरेशन इमिग्रेंट्स हैं। यानी कि परिवार में सबसे पहले वही अमेरिका गए, लेकिन बाकी अमेरिका में जन्मे नागरिक हैं। ट्रम्प के आदेश के बाद फर्स्ट जेनरेशन इमिग्रेंट्स को अमेरिकी नागरिकता मिलना मुश्किल हो जाएगा।
अमेरिका में बढ़े जन्मजात नागरिकता के मामले
1965 में अमेरिकी गृहयुद्ध खत्म होने के बाद, जुलाई 1868 में अमेरिकी संसद में 14वें संशोधन को मंजूरी दी गई थी। इसमें कहा गया था कि देश में पैदा हुए सभी अमेरिकी नागरिक हैं। इस संशोधन का मकसद गुलामी के शिकार अश्वेत लोगों को अमेरिकी नागरिकता देना था। हालांकि इस संशोधन की व्याख्या इस प्रकार की गई है कि इसमें अमेरिका में जन्में सभी बच्चों को शामिल किया जाएगा, चाहे उनके माता-पिता का इमिग्रेशन स्टेट्स कुछ भी हो।इस कानून का फायदा उठाकर गरीब और युद्धग्रस्त देशों से आए लोग अमेरिका आकर बच्चों को जन्म देते हैं। ये लोग पढ़ाई, रिसर्च, नौकरी के आधार पर अमेरिका में रुकते हैं। बच्चे का जन्म होते ही उन्हें अमेरिकी नागरिकता मिल जाती है। नागरिकता के बहाने माता-पिता को अमेरिका में रहने की कानूनी वजह भी मिल जाती है।
अमेरिका में यह ट्रेंड काफी लंबे समय से जोरों पर है। आलोचक इसे बर्थ टूरिज्म कहते हैं। प्यू रिसर्च सेंटर की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक 16 लाख भारतीय बच्चों को अमेरिका में जन्म लेने की वजह से नागरिकता मिली है।
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