India’s trade deficit with China: अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए भारी भरकम टैरिफ के बाद सरकार ने निर्यातकों के लिए वैकल्पिक बाजार तलाशने की रणनीति अपनाई और चीन की ओर पुराने विवाद भुलाकर दोस्ती का हाथ बढ़ाया. यहां तक कि डोकलाम जैसे पुराने विवादों को पीछे छोड़ते हुए आर्थिक सहयोग बढ़ाने के संकेत दिए गए और चीनी उत्पादों के लिए भारतीय बाजार को भी अपेक्षाकृत खोल दिया गया. लेकिन अब जो ताजा आंकड़े सामने आए हैं, उन्होंने सरकार की चिंताओं को काफी बढ़ा दिया है.
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है और इसके 2025 में 106 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की आशंका है, जो अब तक का एक बेहद चिंताजनक स्तर होगा.
रिपोर्ट ने उड़ाई नींद
रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन को भारत का निर्यात 2021 में 23 अरब डॉलर था, जो 2022 में घटकर 15.2 अरब डॉलर, 2023 में 14.5 अरब डॉलर और 2024 में मामूली बढ़कर 15.1 अरब डॉलर रहा, जबकि 2025 में इसके 17.5 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. इसके उलट चीन से भारत का आयात तेज़ी से बढ़ा है और 2025 में इसके 123.5 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना जताई गई है, जिससे व्यापार घाटा 2021 के 64.7 अरब डॉलर से बढ़कर 2024 में 94.5 अरब डॉलर और फिर 2025 में 106 अरब डॉलर हो सकता है.
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के मुताबिक, चीन से भारत के लगभग 80 प्रतिशत आयात केवल चार प्रमुख श्रेणियों- इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, ऑर्गेनिक केमिकल्स और प्लास्टिक में केंद्रित हैं, जो भारत की औद्योगिक निर्भरता को भी उजागर करता है. वहीं सरकार की ओर से वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने संसद में बताया कि यह व्यापार घाटा मुख्य रूप से कच्चे माल, मध्यवर्ती और पूंजीगत वस्तुओं के आयात की वजह से है, जैसे ऑटो कंपोनेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक और मोबाइल फोन के हिस्से, मशीनरी और एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स, जिनका उपयोग भारत में तैयार उत्पाद बनाने और फिर निर्यात करने में किया जाता है.
चीन से बढ़ सकता है व्यापार घाटा
हालात की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने आयात-निर्यात रुझानों की समीक्षा और जरूरी सुधारात्मक कदम सुझाने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति के गठन की बात भी कही है. दिलचस्प बात यह है कि हाल के महीनों में चीन को भारत का निर्यात तेज़ी से बढ़ा है. नवंबर में यह 90 प्रतिशत उछलकर 2.2 अरब डॉलर पहुंच गया और अप्रैल से नवंबर के बीच कुल निर्यात में 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई. लेकिन इसके बावजूद आयात के मुकाबले यह बढ़त नाकाफी साबित हो रही है, जिससे चीन के साथ भारत का बढ़ता व्यापार घाटा सरकार के लिए एक बड़ी आर्थिक और रणनीतिक चुनौती बनता जा रहा है.
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