रायपुर. मरवाही विधायक अमित जोगी ने आज मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर को पत्र लिख सरकार द्वारा धोबी समाज की उपेक्षा किये जाने का मुद्दा उठाया है. अमित जोगी का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा डी के एस पोस्ट ग्रेजुएट संस्थान तथा प्रदेश के छः शासकीय मेडिकल कॉलेजों में लांड्री (कपडे धुलाई) की सेवाओं के लिए निविदा आमंत्रित की गयी थी। जोगी ने कहा कि अस्पताल में मरीजों को साफ़ सुथरे कपड़े, चद्दर आदि प्रदान करने के लिए एक अच्छी लांड्री सेवा स्थापित करना सरकार की तरफ से स्वागतयोग्य पहल है लेकिन इस निविदा प्रक्रिया में रखी गयी शर्तें बेहद आपत्तिजनक है जिस वजह से छत्तीसगढ़ के स्थानीय लोगों के साथ न्याय नहीं होगा.

अमित जोगी ने पत्र में आगे बताया है कि निविदा की शर्तों के अनुसार निविदा में भाग लेने के लिए लांड्री सेवा प्रदाता का पिछले वित्तीय वर्ष में 10 करोड़ रूपए का टर्नओवर होना अनिवार्य है साथ ही उसकी नेट वर्थ 5 करोड़ रूपए होना अनिवार्य किया गया है। निविदा के साथ सेवा प्रदाता को 45 लाख रुपए का डिपाजिट देने भी कहा गया है। जाहिर है, इन शर्तों की वजह से छत्तीसगढ़ का एक बहुत बड़ा वर्ग जो कपड़ा धुलाई का पैतृक व्यवसाय कर रहा है (धोबी समाज) इस निविदा में भाग लेने से वंचित रह जाएगा क्योंकि उसके पास न तो डिपाजिट देने के लिए इतनी बड़ी रकम होगी और न ही इतना टर्नओवर व नेटवर्थ होगा। जोगी ने सरकार की नियत पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इस निविदा के माध्यम से एक बार फिर सरकार आउटसोर्सिंग करके छत्तीसगढ़ के लोगों का हक़ मारकर बाहर की कंपनियों को लाभान्वित करना चाह रही है।अमित जोगी ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से पूछा कि क्या राज्य सरकार को प्रदेश के धोबी समाज की सेवाओं पर अब भरोसा नहीं रहा? आखिर क्यों सरकार उनके पेट पर लात मारकर बाहरी लोगों को लाभ पहुंचाने में आमादा है?

अमित जोगी ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से अनुरोध किया है कि धोबी समाज के हितों को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी उक्त लांड्री सेवा की निविदा को निरस्त किया जाए और प्रदेश के धोबियों का स्व सहायता समूह बनाकर या ऐसे ही कोई अन्य विकल्प पर विचार करके शासकीय अस्पतालों में लांड्री सेवा प्रदान करने का कार्य प्रदेश के धोबी समाज को दिया जाए।