पेंड्रा। एक पिता जिसने अपने बेटे के लिए जब कुछ न्यौछावर कर दिया. नये छत्तीसगढ़ राज्य की एक नई छुवि की कल्पना की. पूरे राज्य को एक पिता के सम्मान, एक मुख्यमंत्री के रुप में राजधर्म का पालन करते हुए कर्तव्य निभाया. एक विकसित राज्य की परिकल्पना की. गरीब, मजदूर, आदिवासी, किसान के लिए जीवन समर्पित कर दिया.
एक कुशल प्रशासक के साथ एक अच्छे पिता साबित हुए, बेटे के लिए, प्रदेश के लिए. अपने अंतिम समय तक लड़ते रहे. ऐसे पिता के अंतिम विदाई पर इन सब बातों को याद कर अमित जोगी अपने आप को रोक नहीं पाए. अंतिम विदाई के वक्त कब्रिस्तान में फूट-फूट कर रोए. अपनी वेदना को रोक नहीं पाया. लगातार आंख से आंसू बहते रहे. पिता अजीत जोगी के साथ बिताए सारी यादें एक-एक कर सामने आ रहे थे. एक बेहतरीन पिता जिसने अपने बेटे के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया, अब वे इस दुनिया में नहीं रहे, वे सब को छोड़कर अकेले चले गए.
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