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स्पोर्ट्स डेस्क. अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) सुरक्षा मुद्दों के मद्देनजर पेनल्टी कॉर्नर ड्रैग-फ्लिक में नियमों में बदलाव पर विचार कर सकता है, लेकिन भारतीय खिलाड़ी इस दौरान भारतीय टीम में ज्यादातर मौके पर सबसे पहले दौड़ शुरू करने वाले अमित रोहिदास इससे जुड़े जोखिम को लेकर चिंतित नहीं हैं. एफआईएच के अध्यक्ष तैयब इकराम ने कुछ दिन पहले विश्व कप के सह-मेजबान शहर राउरकेला में कहा था कि, विश्व निकाय उच्च गति की गेंद को रोकने वाले खिलाड़ियों को अधिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए पेनल्टी कॉर्नर हिट से संबंधित नियमों में बदलाव पर एक अध्ययन कर रहा था.
हालांकि, इकराम ने साफ कर दिया था कि एफआईएच फ्लिक से गेंद की गति कम करने के बारे में नहीं सोच रहा है. उन्होंने कहा कि, गेंद के सर्कल में प्रवेश करने से पहले आक्रमण करने वाली टीम को गेंद पर प्रहार का एक या दो और अधिक मौका देने का समाधान खोजा जा सकता है. इससे टीमों को प्रतिक्रिया देने के लिए अधिक समय मिलेगा.
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FIH अध्यक्ष की बातों की जानकारी नहीं
नियम में संभावित बदलाव के बारे में रोहिदास ने कहा कि एफआईएच अध्यक्ष ने क्या कहा, मुझे इसकी जानकारी नहीं है. इस 29 वर्षीय डिफेंडर ने कहा कि, मैं भारतीय टीम में सबसे पहले दौड़ने वालों में से एक रहा हूं. टीम जो भी और जब भी चाहे, मैं पहला तेज रनर हो सकता हूं. मुझे कोई समस्या नहीं है.
राउरकेला के नए बिरसा मुंडा स्टेडियम में शुरुआती मैच में स्पेन द्वारा लिए गए तीन पेनल्टी कार्नर में रोहिदास भारतीय खिलाड़ियों में दौड़ शुरू करने वाले पहले खिलाड़ी रहे थे. भारत ने पेनल्टी कॉर्नर से कोई गोल नहीं खाया और 2-0 से मैच जीत लिया. रोहिदास ने इस मैच में एक गोल भी किया था. उन्होंने पेनल्टी कॉर्नर के रिबांउड को गोल में डाल कर टीम को शानदार सफलता दिलाई.
बचाव के लिए उपकरण का इस्तेमाल
इंग्लैंड के खिलाफ गोलरहित ड्रॉ मैच में भी भारत ने 8 पेनल्टी कॉर्नर का बचाव किया था. इसमें रोहिदास की भूमिका अहम रही. भारतीय टीम के लिए 133 मैच खेलने वाले रोहिदास ने कहा कि, मेरे लिए यह ज्यादा जोखिम के बारे में नहीं है. हमारे पास घुटने का गार्ड, हाथ का दस्ताना जैसे बचाव के उपकरण होते है.
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