लखनऊ. योगी सरकार के मंत्री आशीष पटेल इन दिनों सुर्खियों में छाए हुए हैं. योगी सरकार और अपना दल के बीच चल रही इस लड़ाई के बीच मंत्री आशीष ने शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की. करीब आधे घंटे तक चली इस मुलाकात में मंत्री ने सीएम के सामने सारी बातें रखी और सीएम ने भी उन्हें कोई भी बात मीडिया के बजाय सीधे सरकार तक पहुंचाने की बात कही. वहीं मंत्री के अधिकारियों और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) पर की जा रही बयानबाजी को लेकर भी बातचीत हुई. बताया जा रहा है कि इस मसले पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल से फोन पर बात की. जिसमें दोनों ने उन्हें अनावश्यक बयानबाजी से बचने की सलाह दी है.
दरअसल, मंत्री आशीष पटेल और अनुप्रिया पटेल की बयानबाजी को लेकर केंद्र और संघ दोनों ही नाराज हैं. शुक्रवार को केंद्रीय नेतृत्व ने अनुप्रिया पटेल से बातचीत कर उन्हें समझाइश दी. वहीं संघ ने भी इस पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि यूपी में राष्ट्रवाद को लेकर अच्छा माहौल बना है. लेकिन ऐसे बयानों से मुद्दे भटकते हैं. अब ये मुद्दा इसलिए भी इतना उठ रहा है क्योंकि बीते दिन अपना दल के दोनों नेताओं ने प्रेसवार्ता की थी. जिसमें मंत्री ने योगी सरकार के अफसरों एसटीएफ पर आरोप लगाए थे. उन्होंने साजिश रचने का आरोप लगाया था. जिसके बाद से ये मामला सीधे आलाकमान तक पहुंच गया.
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बता दें कि मंत्री आशीष पटेल ने कहा था कि सीएम योगी अगर चाहें तो मेरी और मेरी पत्नी अनुप्रिया पटेल की CBI जांच कभी भी करा सकते हैं. ये लड़ाई सिर्फ मंच या बयानबाजी तक नहीं थी. बल्कि सोशल मीडिया पर भी मंत्री पोस्ट कर अपने विचार साझा किए थे. उन्होंने लिखा था कि ‘उत्तर प्रदेश के सबसे ईमानदार आईएएस अधिकारी एवं तत्कालीन प्रमुख सचिव, प्राविधिक शिक्षा श्री एम० देवराज की अध्यक्षता में हुई विभागीय पदोन्नति समिति की संस्तुति और शीर्ष स्तर पर सहमति के आधार पर हुई पदोन्नति के बावजूद राजनीतिक चरित्र हनन के लिए लगातार मीडिया ट्रायल अस्वीकार्य है. उत्तर प्रदेश के सूचना निदेशक श्री शिशिर सिंह को झूठ, फरेब एवं मीडिया ट्रायल का यह खेल आगे बढ़कर बन्द कराना चाहिए . यदि यह विभागीय पदोन्नति गलत है तो सूचना विभाग की तरफ से स्पष्टीकरण देना चाहिए.’
मुख्यमंत्री जी यदि उचित समझें तो…
उन्होंने आगे लिखा कि ‘मैंने पहले भी कहा है और एक बार फिर कह रहा हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी यदि उचित समझें तो बार-बार के मीडिया ट्रायल, झूठ औए फरेब के जरिए किये जा रहे मेरे राजनीतिक चरित्र हनन के इस दुष्प्रयास पर स्थायी विराम के लिए बतौर मंत्री मेरे द्वारा अब तक लिए गए सभी फैसलों की सीबीआई जांच करा सकते हैं. इतना ही नहीं मैं तो यहां तक कहता हूं कि लगे हाथ अगर उचित समझा जाए तो स्वयं मेरी तथा मेरी पत्नी और अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री माननीय अनुप्रिया पटेल जी के सांसद-विधान परिषद सदस्य बनने के बाद अर्जित की गई संपत्ति की भी जांच करा ली जाए’.
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भविष्य में भी कांटा चुभता रहेगा- मंत्री
आशीष ने आगे लिखा ‘पर्दे के पीछे सामाजिक न्याय की आवाज को कुचलने का खेल जारी है. वास्तव में पदोन्नति के इस मामले में कुछ लोगों के कलेजे में कांटा लगने का कारण उन ओबीसी और वंचित वर्ग को लाभ मिलना है, जिनके अधिकारों की सालों से हकमारी की जा रही थी. पोस्ट के साथ संलग्न पदोन्नति की वर्गवार सूची देंखेंगे तो इसका अंदाजा हो जाएगा. ऐसे लोगों को मैं बताना चाहता हूं कि इनके कलेजे में भविष्य में भी कांटा चुभता रहेगा. वह इसलिए कि इन झूठे तथ्यों, अफवाहों और मीडिया ट्रायल से अपना दल (एस) की सामाजिक न्याय की लड़ाई बंद नहीं होने वाली. हम अब पहले से भी अधिक शक्ति के साथ सामाजिक न्याय की आवाज बुलंद करते रहेंगे’.
‘मैंने पहले भी कहा है कि लौहपुरुष सरदार पटेल का वंशज आशीष पटेल डरने वालों में नहीं बल्कि लड़ने वालों में से है. अपने शुभचिंतकों के लिए एक विशेष बात कि यदि सामाजिक न्याय की इस जंग में मेरे साथ किसी प्रकार का षड्यंत्र/ दुर्घटना हुई तो इसकी सारी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश पुलिस के स्पेशल टास्क फ़ोर्स की होगी’.
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इस वजह से मचा हुआ है बवाल
आरोप है कि प्राविधिक शिक्षा विभाग में राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेजों में विभागाध्यक्ष (HOD) की सीधी भर्ती करने की जगह कॉलेजों में कार्यरत व्याख्याता को पदोन्नत कर विभागाध्यक्ष बनाया गया. अगर सीधी भर्ती से पद भरे जाते तो पिछड़े और दलित वर्ग को आरक्षण का फायदा मिलता. लेकिन 177 व्याख्याता को नियम विरुद्ध प्रमोट करने से आरक्षित वर्ग वंचित रह गया.
इस पूरे मामले में सिराथू से सपा विधायक और रिश्ते में मंत्री आशीष पटेल की साली पल्लवी पटेल ने ही इस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. अभ्यर्थी से 25-25 लाख रुपये की वसूली की गई. जिससे सरकार को 50 करोड़ अतिरिक्त वार्षिक बोझ भी अयोग्य कर्मियों को देना पड़ रहा है. इसके अलावा भाजपा विधायक मीनाक्षी सिंह ने मुख्यमंत्री और SIT को पत्र लिख विभाग में हर साल 50 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया है. उन्होंने मामले की जांच की भी मांग की है.
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