रायपुर। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए न सिर्फ अपनी पार्टी का बखान किया बल्कि विरोधी पार्टियों खासतौर से कांग्रेस को निशाना बनाया. उन्होंने कहा कि देश में केवल दो पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र है. बीजेपी और कम्यूनिस्ट पार्टी. उन्होंने कहा कि अगर पार्टी का लोकतंत्र खत्म हो जाए तो देश में आपातकाल लगता है.

शाह ने कहा कि बीजेपी मिशन मोड में चलने वाली पार्टी है. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी का लक्ष्य भारत को विश्व गुरू बनाना है. महात्मा गांधी पर उन्होंने एक टिप्पणी की है. शाह ने महात्मा गांधी को चतुर बनिया कहा. उन्होंने कहा कि गांधी आजा़दी के बाद कांग्रेस को खत्म करना चाहते थे.

ये हैं अमित शाह की मुख्य बातें-

  • लोकतांत्रित सिस्टम को बीजेपी ने स्वीकार किया.
  • देश  में 1650 राजनीतिक पार्टी है। दो ही पार्टी ऐसी है, जिसके भीतर आंतरिक लोकतंत्र है। एक बीजेपी औऱ दूसरी कम्युनिस्ट पार्टी।
  • कई पार्टियां है, जहां एक ही परिवार के लोग अध्यक्ष बनते हैं.
  • समाजवादी को उठा लिजिए मुलायम जी के जाने के बाद अखिलेश बन गए.
  • कांग्रेस पार्टी की सोनिया गांधी अध्यक्ष पद छोड़ने का निर्णय़ करेगी. तो अध्यक्ष कौन होगा. राहुल गांधी अध्यक्ष बन जाएंगे. लेकिन बताइए, मेरे बाद बीजेपी का अध्यक्ष कौन बनेगा. किसी को मालूम नहीं है कि इस पार्टी में अध्यक्ष वंश परंपरा के आधार पर नहीं होते हैं.
  • अमित शाह नाम का एक व्यक्ति 16 साल की उम्र में विचारधारा से जुड़ा, पोस्टर लगाते, झंडे लगाते और डंडा खाते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. ये केवल बीजेपी में ही संभव है
  •  एक गरीब चायवाले का बेटा बूथ का काम करते हुए देश का प्रधानमंत्री बनकर नेतृत्व कर रहा है. ये सिर्फ बीजेपी में ही संभव है.
  • यहां नेता किसी की चापलूसी से नहीं. किसी का बेटा होने से नहीं.  किसी बड़ी झांकी से नहीं बनते. यहां नेता मेहनत के आधार पर बनता है. इसलिए मैं हमेशा कहता हूं कि बीजेपी का आंतरिक लोकतंत्र जब तक मजबूत है, देश के लोकतंत्र को कोई छू नहीं सकता.
  • मैं कहता हूं कि दूसरी पार्टी भी वंश परंपरा, जाति, प्रांत वाद की राजनीति से बाहर निकले और शुद्ध निष्पक्ष अपने अध्यक्ष का चुनाव करे, लेकिन ये दुर्भाग्य है कि बीजेपी के अलावा ये परंपरा किसी और पार्टी में नही ंहै.
  • नेहरु की नीतियों में पाश्चात्य देशों का असर था. नीतियों में देश की मिट्ठी की सुगंध नहीं थी. देश भटक जाता. इसलिए कुछ लोगों ने नई पार्टी बनाने का निर्णय़ लिया. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जो हमारे फाउंडर थे उस दौरान उद्योग मंत्री थे। उन्होंने सरकार से इस्तीफा दिया। उस वक्त लोगों ने कल्पना भी नहीं की थी कि जनसंघ देश में इतने बड़े स्वरूप में आएगा.
  • वैकल्पिक सिद्धांत देने के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की। जनसंघ के नेताओं ने नीतियों पर वैकल्पिक नीति देने की शुरूआत की। उस वक्त भी हम कहते थे मुक्त व्यापार और मुक्त खेती। आज भी कहते हैं।
  • उस वक्त भी कहते थे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के आधार पर राष्ट्र का निर्माण होना चाहिए. आज भी कहते हैं देश के निर्माण के लिए सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की पहचान होनी चाहिए।
  • 50 साल  से ज्यादा समय से इसी सिद्धांतों के आधार पर बीजेपी ने जिया है और इसी सिद्धांतों के आधार पर जीएंगे। यही वजह है कि 10 सदस्यों वाली पार्टी के आज दस करोड़ सदस्य हैं।
  • बीजेपी के 1397 विधायक है, 17 राज्यों में सरकार देश में 320 सांसद बैठते हैं। मोदी नेतृत्व में पूऎर्ण बहुमत वाली बीजेपी सरकार है। क्योंकि ये पार्टी सिद्धांतों के आधार पर चलती है।
  • आजादी के बाद कांग्रेस ने केवल तीन कार्यक्रम ही हाथ में लिए। तीनों कार्यक्रम नेताओं के महिमामंडन के रहे। बीजेपी ने देश को समस्याओं से बचाने का आंदोलन किया.
  • श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर के लिए अपने आप को बलिदान कर दिया। दीनदयाल उपाध्याय की हत्या कर दी गई। अटल जी, आडवानी जी, राजमाता सिंधिया, भाई महावीर जैसे ना जाने कितने कार्यकर्ता दिए, जिनके जीवन का क्षण-क्षण और कण-कण देश की सेवा में लगा.
  • किसी अंग्रेज ने एक एसोसिएशन बनाया था, जो आगे चलकर आजादी के आंदोलन में लग गया। राइट वाले भी थे, लेफ्त भी थे। मौलाना साहब थे, मदनमोहन मालवीय भी दे। हर प्रकार के विचार धारा वाले लोग कांग्रेस का उपयोग करते थे। कांग्रेस में आते थे और कांग्रेस के जरिए आजादी की लड़ाई लड़ते थे। कांग्रेस विचारधारा और सिद्धांतों के आधार पर बनी पार्टी नहीं है, आजादी प्राप्त करने का एक साधन था.
  • महात्मा गांधी बड़ा चतुर बनिया था.
  • उनहोंने कहा कांग्रेस आजादी के बाद खत्म कर देना चाहिए.
  • हमे कोई दिक्कत नहीं होती जब ये कहते हैं मरने के बाद भी हम भारत माता की जय नहीं बोलेंगे.  हम कहते हैं, जो देश विरोधी नारे लगाएगा, वो देश विरोधी कहलाएगा.
  • कांग्रेस के भी सारे नेता देश के लिए जीवन जीने वाले लोग थे। भ्रष्टाचार की दूर दूर तक सोच नहीं थी। जनसंघ के नेता भी देश के लिए जीने वाले थे। फिर दोनों में अँतर क्या था। सिद्धांत अलग थे। कांग्रेस कहती थी देश का नवनिर्माण करना.
  • नव निर्माण का प्रयोग होता है, तो तोड दो फोड़ दो और नया निर्माण कर दो। लेकिन जनसंघ के नेताओं ने प्रयोग किया भारत का पुनर्निर्माण करना है। ये अंतर स्पष्ट हो जाता है।
  • पुराने सिद्धातों को आज के हिसाब से ढालकर देश का पुनर्निर्माण करना है।
  • देश में सत्तर साल के कालखंड में चार प्रकार की सरकार अस्तित्व में आई। एक कांग्रेस, दूसरा कम्युनिष्ट, प्रांतीय सरकार चली, बसपा, सपा, जदयू, आरजेडी औऱ चौथा बीजेपी की सरकार देश में लंबे समय तक चल रही है। कई प्रांत ऐसे हैं, जहां 15 साल 20 साल शासन में रहे हैं।
  • हमने अच्छी सरकार चलाई है।
  • बीजेपी ने राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ को बीमारु राज्य की श्रेणियों से निकाला है. बिहार में जब तक बीजेपी सत्ता में थी वो विकास कर रहा था.
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