Amit Shah Visit CG: प्रतीक चौहान. रायपुर.  हाई सिक्योरिटी के बीच देश के गृहमंत्री अमित शाह आज थोड़ी देर में नवापारा शहर से लगे चम्पारण धाम पहुंचेंगे. यहां वे अपनी पत्नी सोनल शाह के  साथ महाप्रभु वल्लभाचार्य की प्रकट स्थली पहुंचकर दर्शन करेंगे. क्या आप इस मंदिर की विशेषस्ताएं जानते है ? जहां हर वर्ष बड़ी संख्या में गुजरात और महाराष्ट्र से दर्शन करने श्रद्धालु पहुंचते है.

देशभर में 84 बैठकों में से प्रमुख बैठक मंदिर

जगद्गुरु की उपाधि प्राप्त महाप्रभु वल्लभाचार्य के देशभर में 84 बैठकें हैं, जहां उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता का पारायण किया था.  इनमें से प्रमुख बैठक मंदिर चंपारण्य को माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि महाप्रभु ने अपने जीवनकाल में तीन बार धरती की परिक्रमा की थी.

बृजधाम की तरह है इस मंदिर का भी खास महत्व

बृजधाम की तरह ही चंपारण्य का भी अपना खास महत्व है. यहां पूजा-अर्चना के सारे नियम-धरम का पालन उसी तरह किया जाता है, जिस तरह से बृज के मंदिरों में पालन होता है. चंपारण्य के मंदिर भी बृजस्थलों में बने मंदिर की तर्ज पर बनाए गए हैं.

550 साल पहले प्रकट हुए

मंदिर के व्यवस्थापक बताते हैं कि लगभग 550 साल पहले बनारस से महाप्रभु वल्लभाचार्य के पिता लक्ष्मण भट्ट और माता इल्लमा गारू मुगल शासन में किए जा रहे अत्याचारों से त्रस्त होकर दक्षिण दिशा की ओर पैदल यात्रा पर निकल पड़े.

 वे राजिम के समीप घनघोर जंगल में निर्मित चंपेश्वर धाम से गुजरे, जहां वल्लभाचार्य ने संतान के रूप में जन्म लिया. चूंकि आठवें माह में ही उनका जन्म हुआ था, इसलिए जन्म के समय उन्होंने कोई हलचल नहीं की. मातापिता ने उन्हें मृत समझ लिया और जंगल में ही पत्तों से ढंककर चले गए.

रात्रि में श्रीनाथजी ने स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि तुम्हारी कोख से मैंने जन्म लिया है. सुबह उठते ही वे वापस चंपेश्वर धाम लौटे तो देखा कि बालक अग्नि कुंड में अंगूठा चूस रहा है. अग्नि कुंड के चारों ओर औघड़ बाबा भी बैठे थे. औघड़ बाबाओं को यकीन नहीं हुआ कि बालक उस दंपती का पुत्र है. इस पर माता ने श्रीनाथजी को याद किया और श्रीनाथजी ने दर्शन देकर औघड़ बाबाओं की शंका दूर की.

तीर्थयात्रियों के लिए सुदामापुरी भवन

कालांतर में स्व.कृष्णदास अड़िया ने तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए आलीशन धर्मशाला बनवाई. इस धर्मशाला को सुदामापुरी भवन के नाम से जाना जाता है. संपूर्ण मंदिर का संचालन संत कृष्ण शंकर शास्त्री वल्लभ निधि ट्रस्ट द्वारा किया जाता है. यहां भोजन प्रसादी की नि:शुल्क व्यवस्था है.