130th Constitutional Amendment Bill 2025: मोदी सरकार (Modi Government) गंभीर आपराधिक केस में गिरफ्तार होने या हिरासत में लिए जाने पर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री या मंत्री को पद से हटाने का कानून बनाने जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah ) बुधवार को इसके लिए संसद में तीन बिल पेश करेंगे। लोकसभा में आज 130वां संविधान संशोधन बिल पेश होगा। इस बिल को राजनीति में अपराध को रोकने की दिशा में सरकार का यह एक बड़ा कदम है। इसका उद्देश्य प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार या हिरासत में लिया जाता है तो उन्हें उनके पद से हटाया जा सके।

मोदी सरकार आज जो तीन विधेयक पेश करेगी, उनमें संघ राज्य क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक 2025, संविधान (एक सौ तीसवां संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 शामिल है। बताया जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इन तीनों विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजने के लिए लोकसभा में प्रस्ताव भी पेश करेंगे।

इन बिल के प्रावधानों के तहत, अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री में से किसी को भी गंभीर अपराधों के लिए गिरफ्तार किया जाता है, जिनमें कम से कम पांच साल की जेल की सजा हो सकती है। साथ ही उन्हें लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रखा जाता है, तो 31वें दिन उन्हें पद से हटा दिया जाएगा।

अब तीनों बिल के बारे में जानिए-

1. गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025- केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक, 2025 के उद्देश्यों और कारणों के विवरण के अनुसार, केंद्र शासित प्रदेश अधिनियम, 1963 (1963 का 20 ) में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत मुख्यमंत्री या मंत्री को गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तारी और हिरासत की स्थिति में हटाया जा सके। लिहाजा इस कानून की धारा 45 में संशोधन कर ऐसी स्थिति के लिए कानूनी प्रावधान करना जरूरी है। ये विधेयक उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता है।

2. 130वां संविधान संशोधन बिल 2025- संविधान (एक सौ तीसवां संशोधन) विधेयक, 2025 के उद्देश्यों में कहा गया है कि संविधान में भी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि किसी मंत्री को गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तारी और हिरासत की स्थिति में हटाया जा सके। इसलिए संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन कर प्रधानमंत्री या केंद्रीय मंत्री और राज्यों व दिल्ली के मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का प्रावधान करने की ज़रूरत है। वहीं, नए प्रावधानों के तहत यदि कोई मंत्री, जिसमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या राज्यों को मंत्री शामिल हैं को पांच साल या उससे अधिक की अवधि की सजा वाले अपराध के लिए लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रखा जाता है तो उसे पद से हटाया जा सकता है।

3. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025- जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (2019 का 34) के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है।जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 में संशोधन के बाद गंभीर आपराधिक केस में गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को 30 दिन में हटाने का प्रावधान होगा।

31वें दिन स्वत: हो जाएगा पदमुक्त

इस खंड के अनुसार, यदि कोई मंत्री अपने कार्यकाल के दौरान लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहता है तो उसे 31 वें दिन मुख्यमंत्री की सलाह पर उपराज्यपाल द्वारा हटा दिया जाएगा। इसी क्रम में अगर मुख्यमंत्री द्वारा इस पर संज्ञान नहीं लिया जाता है तो अगले दिन वह मंत्री स्वत: पद से हट जाएगा। इसी तरह का तंत्र केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के लिए भी प्रस्तावित है, जहां हिरासत में लिए गए मंत्री या प्रधानमंत्री को लगातार 30 दिनों की हिरासत के 31वें दिन हटा दिया जाएगा।

130वें संविधान संशोधन के कुछ प्रमुख पहलू :

1. अनुच्छेद 75 (केंद्र सरकार-प्रधानमंत्री और मंत्रीमंडल): संविधान के अनुच्छेद 75 में उपबंध (5) के बाद ये उपबंध जोड़ा जाएगा.

  • (5A): यदि कोई मंत्री लगातार 30 दिन तक गंभीर अपराध (5 वर्ष या उससे अधिक की सजा वाले अपराध) के आरोप में जेल में है, तो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर उसे पद से हटा दिया जाएगा. यदि प्रधानमंत्री सलाह नहीं देते तो 31वें दिन के बाद वह मंत्री अपने आप पद से हटा हुआ माना जाएगा.
  • अगर प्रधानमंत्री खुद 30 दिन तक ऐसे आरोप में जेल में हैं, तो उन्हें 31वें दिन तक इस्तीफा देना होगा. अगर यदि इस्तीफा नहीं दिया, तो उनका पद स्वतः समाप्त हो जाएगा.
  • यह भी प्रावधान है कि इस उपबंध में कुछ भी ऐसा नहीं है, जो प्रधानमंत्री या मंत्री को हिरासत से रिहा होने के बाद, राष्ट्रपति द्वारा पुनः प्रधानमंत्री या मंत्री के रूप में नियुक्त किए जाने से रोक सके.

2. अनुच्छेद 164 (राज्य सरकार-मुख्यमंत्री और मंत्रीमंडल): संविधान के अनुच्छेद 164 में उपबंध (4) के बाद निम्नलिखित उपबंध जोड़ा जाएगा.

  • (4A): यदि कोई राज्य मंत्री 30 दिन तक जेल में है, तो राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह पर उसे पद से हटा दिया जाएगा. यदि सलाह नहीं दी जाती, तो 31वें दिन से मंत्री का पद अपने आप समाप्त हो जाएगा.
  • यदि मुख्यमंत्री स्वयं 30 दिन तक जेल में रहते हैं, तो उन्हें 31वें दिन तक इस्तीफा देना होगा, अन्यथा उनका पद स्वतः समाप्त हो जाएगा.
  • यह भी प्रावधान है कि इस उपबंध में कुछ भी ऐसा नहीं है जो मुख्यमंत्री या मंत्री को, हिरासत से रिहा होने के बाद, राज्यपाल द्वारा पुनः मुख्यमंत्री या मंत्री के रूप में नियुक्त किए जाने से रोक सके.

ऑनलाइन गेमिंग पर बैन लगाने वाला बिल भी पेश होगा: केंद्र सरकार लोकसभा में आज ऑनलाइन गेमिंग पर बैन लगाने वाला बिल भी पेश कर सकती है। कैबिनेट ने मंगलवार को ऑनलाइन गेमिंग बिल को मंजूरी दी है। इसमें ऑनलाइन मनी गेमिंग, विज्ञापन, खेल के लिए उकसाने वाले को सजा-जुर्माना या दोनों हो सकता है। तीन साल तक कैद या 1 करोड़ रु. तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।

केजरीवाल ने गिरफ्तारी के बाद भी इस्तीफा नहीं दिया था

केंद्र सरकार का मानना है कि ये तीनों बिल लोकतंत्र और सुशासन की साख मजबूत करेगा। अब तक, संविधान के तहत, केवल दोषी ठहराए गए जनप्रतिनिधियों को ही पद से हटाया जा सकता था। मौजूदा कानूनों में संवैधानिक पद पर बैठे नेताओं को हटाने को लेकर स्पष्ट व्यवस्था नहीं है। इसको लेकर कानूनी और सियासी विवाद होते हैं। बता दें, दिल्ली के तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल ईडी के मामले में गिरफ्तारी के बाद भी पद पर थे। जमानत के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया। तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी ने भी विभिन्न आरोपों में गिरफ्तारी के बाद भी अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया था।

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