Amla Navami 2025 Radha Charan Darshan in Sakshigopal Temple: भुवनेश्वर. पुरी जिले के साक्षीगोपाल मंदिर में आंवला नवमी के पावन अवसर पर राधारानी के पवित्र चरणों के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु उमड़े. ऐसी मान्यता है कि इस दिन राधारानी के चरणों के दर्शन से अपार आध्यात्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है. देवी को पारंपरिक ओडियानी पोशाक पहनाई गई, जिससे उत्सव का माहौल और भी भव्य हो गया.

मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ देखी गई, जो देवी के दर्शन के लिए कतारों में खड़े थे. मंदिर की परंपराओं के अनुसार, प्रशासन ने दोपहर करीब 1 बजे द्वार खोले और भक्तों को दर्शन की अनुमति दी. मंदिर के पुजारियों ने दर्शन से पहले मंगल आरती, मैलम और अन्य पारंपरिक अनुष्ठान किए.

प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए सुचारू और परेशानी मुक्त दर्शन सुनिश्चित करने के लिए विशेष व्यवस्थाएं कीं. वर्ष में एक बार भगवान द्वारा धारण की जाने वाली अनोखी ओडियानी बेश पोशाक ने भक्तों के उत्साह को और बढ़ा दिया.

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Amla Navami 2025 Radha Charan Darshan in Sakshigopal Temple
Amla Navami 2025 Radha Charan Darshan in Sakshigopal Temple

पवित्र आंवला वृक्ष: दिव्य मिलन का प्रतीक (Amla Navami Radha Charan Darshan in Sakshigopal Temple)

कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाने वाला आंवला नवमी, आंवले के वृक्ष की पूजा को समर्पित एक पवित्र उत्सव है. इस वृक्ष को राधा और कृष्ण के दिव्य मिलन का प्रतीक माना जाता है, जो इसे आध्यात्मिक प्रेम और भक्ति का प्रतीक बनाता है.

कार्तिक पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु की समर्पित सेविका वृंदा अपनी मृत्यु के बाद तीन पवित्र पौधों में परिवर्तित हुईं – मालती, तुलसी और आंवला. इन पौधों की कार्तिक माह में विशेष पूजा की जाती है. आंवला वृक्ष राधा और कृष्ण के पवित्र मिलन का प्रतीक है.

कहा जाता है कि वृंदा के वियोग से व्यथित भगवान विष्णु ने उसकी चिता की राख अपने शरीर पर लगा ली. तब देवताओं ने माता पार्वती से सांत्वना मांगी. माता पार्वती ने लक्ष्मी और सरस्वती के आशीर्वाद से देवताओं को तीन पवित्र पौधों के बीज – आंवला, तुलसी और मालती – भेंट किए. इन बीजों को वृंदा की चिता स्थल पर रोपने से ये पूजनीय पौधे उत्पन्न हुए, जो भक्ति और आध्यात्मिकता के प्रतीक बने. इस प्रकार, आंवला वृक्ष आंवला नवमी के दौरान एक प्रमुख धार्मिक केंद्र बिंदु माना जाता है.

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राधा चरण दर्शन: मुक्ति और भक्ति का मार्ग (Amla Navami Radha Charan Darshan in Sakshigopal Temple)

आंवला नवमी का एक विशेष आकर्षण राधा चरण दर्शन का अनुष्ठान है. इस पवित्र दर्शन का गहरा आध्यात्मिक महत्व है, जो मोक्ष और दिव्य प्रेम की प्राप्ति का प्रतीक है. राधा के चरणों की पूजा, ईश्वर से जुड़ाव और भक्ति की सर्वोच्च अवस्था का प्रतीक मानी जाती है.

इस अनुष्ठान के माध्यम से भक्त भौतिक बंधनों से ऊपर उठकर ईश्वर के शाश्वत स्वरूप में एकरूप होने की कामना करते हैं. इस अवसर पर माँ राधा को ओडियानी बेश से सुसज्जित किया जाता है, जो उत्सव को और भी भव्य बनाता है.

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