Amritdhari Sarpanch Stopped at Red Fort: नई दिल्ली. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिल्ली के लाल किले में आयोजित समारोह में पंजाब के नाभा के कालसना गांव के अमृतधारी सरपंच गुरधियन सिंह को प्रवेश से रोकने का मामला सामने आया है. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने इस घटना की कड़ी निंदा की है. सरपंच गुरधियन सिंह को समारोह में शामिल होने के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था, लेकिन उनके श्री साहिब (कृपाण) के कारण उन्हें लाल किले में प्रवेश नहीं करने दिया गया.
घटना के अनुसार, दिल्ली में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में सरपंच गुरधियन सिंह को उनके सिख ककार, विशेष रूप से श्री साहिब (कृपाण) के कारण प्रवेश से वंचित कर दिया गया. सिक्योरिटी गार्ड ने कृपाण पर आपत्ति जताई, जिसके चलते सरपंच को समारोह में शामिल हुए बिना ही वापस लौटना पड़ा. इस घटना ने सिख समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है.
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SGPC ने जताई नाराजगी (Amritdhari Sarpanch Stopped at Red Fort)
SGPC सदस्य गुरचरन सिंह ग्रेवाल ने इस घटना को देश की आजादी पर सवाल उठाने वाला बताया. उन्होंने कहा कि एक अमृतधारी सिख, जो अपने धार्मिक विश्वासों के अनुसार ककार धारण करता है, को इस तरह अपमानित करना और समारोह में प्रवेश से रोकना निंदनीय है. उन्होंने कहा कि यह घटना सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं का अपमान है और यह देश की एकता और अखंडता पर भी सवाल खड़ा करती है.
सिख धर्म में पांच ककार (केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण) धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखते हैं. कृपाण सिखों के लिए न केवल एक धार्मिक प्रतीक है, बल्कि यह आत्मरक्षा और न्याय के लिए खड़े होने का भी प्रतीक है. ऐसे में, कृपाण पर आपत्ति जताकर एक आमंत्रित सरपंच को समारोह में शामिल होने से रोकना गंभीर चिंता का विषय बन गया है.
Amritdhari Sarpanch Stopped at Red Fort: SGPC और सिख समुदाय ने मांग की है कि इस घटना की जांच की जाए और दोषी सिक्योरिटी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए जाएं. यह घटना न केवल धार्मिक भेदभाव का मामला है, बल्कि यह सवाल भी उठाती है कि क्या देश में धार्मिक स्वतंत्रता और सम्मान को पूरी तरह सुनिश्चित किया जा रहा है.
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