अमृतसर. अमृतपाल के इरादे बहुत ही खतरनाक थे. वह नशा करने वाले और पूर्व सैनिकों का ब्रेनवॉश कर उन्हें आतंकवादी गतिविधियों में शामिल कर रहा था. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि दुबई से लौटने के बाद अमृतपाल ने अपने पैतृक गांव जल्लूपुर में एक नशा मुक्ति केंद्र शुरू किया. इसके साथ ही उसने ऐसे पूर्व सैनिकों की तलाश शुरू कर दी, जो सेना से सेवानिवृत्त हो गए थे, ताकि उनका इस्तेमाल हथियारों के प्रशिक्षण देने में किया जा सके. उसने दो पूर्व सैनिकों की पहचान की और उनका ब्रेनवॉश कर अपने साथ मिला लिया. इनकी पहचान वरिंदर सिंह और तलविंदर सिंह के तौर पर हुई है.
दोनों ने अमृतपाल के नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती युवाओं को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देनी शुरू की. इसके लिए उसने मारे गए आतंकवादी दिलावर सिंह को युवाओं के सामने प्रेरणास्रोत के तौर पर रखा. मानव बम बनकर दिलावर सिंह ने खुद के साथ पूर्व सीएम बेअंत सिंह को उड़ा दिया था. पुलिस ने बताया कि जब अमृतपाल ने ‘वारिस पंजाब दे’ की कमान संभाली तो उस समय उसके पास सिर्फ दो निजी गार्ड थे.
नशामुक्ति केंद्र में पहुंचे युवकों को बरगलाया गया और उन्हें हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया गया. साथ ही ऐसे युवकों को मारे गए आतंकी दिलावर सिंह का रास्ता चुनने के लिए भी उकसाया गया, जिसने आत्मघाती हमले में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी थी. खराब व्यवहार के चलते सेवानिवृत्त किए गए पूर्व सैनिकों को निशाना बनाना अलगाववादी अमृतपाल सिंह के लिए काफी फायदेमंद था, क्योंकि इनके पास पहले से ही शस्त्र लाइसेंस था, जिससे उसका संगठन कानून के शिकंजे से बच सकता था.
पुलिस ने बताया कि वरिंदर सिंह को गिरफ्तार कर लिया जबकि तलविंदर सिंह फरार है. दोनों के शस्त्र लाइसेंस भी रद्द कर दिए गए हैं.
जल्लूखेड़ा में फायरिंग रेंज में दी जाती थी ट्रेनिंग
पुलिस ने बताया कि उसने जल्लूखेड़ा के पास बहती नदी के किनारे एक फायरिंग रेंज बनाई थी, जहां पर युवाओं को अत्याधुनिक हथियारों की ट्रेनिंग दी जाती थी. यह खुलासा उसके गनमैन तेजिंदर सिंह गिल से मिले मोबाइल से मिले वीडियो और फोटो से हुआ है. कुछ वीडियो में वह युवाओं को हथियारों के बारे में बारीकी से समझा रहा है. कुछ फोटो भी मिले हैं, जिनमें आंनदपुर खालसा फौज के होलोग्राम भी बने थे.