दिल्ली के आनंद विहार नमो भारत (भूमिगत) स्टेशन को इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (IGBC) की प्लेटिनम रेटिंग से सम्मानित किया गया है। यह रेटिंग ग्रीन सर्टिफिकेशन की सबसे ऊंची श्रेणी मानी जाती है, जो स्टेशन की पर्यावरणीय स्थिरता और ऊर्जा दक्षता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। एनसीआरटीसी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम) के अनुसार, इस स्टेशन को यह रेटिंग ऊर्जा संरक्षण, जल प्रबंधन, कचरा निस्तारण, और हरित निर्माण सामग्री के इस्तेमाल जैसे मानकों को पूरा करने पर मिली है।
पर्यावरण के लिए प्रयास
एनसीआरटीसी की यह उपलब्धि दर्शाती है कि नमो भारत परियोजना में पर्यावरण के अनुकूल निर्माण और संचालन को लेकर निरंतर प्रयास जारी हैं। संगठन ने न केवल आनंद विहार स्टेशन को IGBC प्लेटिनम रेटिंग दिलाई है, बल्कि अपने सभी प्रमुख स्थलों डिपो, स्टेशन, बिजली सब-स्टेशन और अन्य भवनों को भी इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (IGBC) के साथ पंजीकृत कराया है।
एनसीआरटीसी का उद्देश्य केवल तेज़ और सुरक्षित परिवहन प्रदान करना नहीं है, बल्कि शहरों में टिकाऊ और स्वच्छ ट्रांजिट सिस्टम को बढ़ावा देना भी है। यही कारण है कि परियोजना के हर चरण में ऊर्जा दक्षता, जल संरक्षण, अपशिष्ट प्रबंधन और ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।
छह क्षेत्रों में बेहतरीन प्रदर्शन
आनंद विहार नमो भारत (भूमिगत) स्टेशन को IGBC प्लेटिनम रेटिंग मिलने के पीछे एनसीआरटीसी के पर्यावरणीय नवाचारों और टिकाऊ डिज़ाइन का बड़ा योगदान है। इस प्रमाणन के लिए स्टेशन का छह प्रमुख पर्यावरणीय मानकों पर मूल्यांकन किया गया.
जगह का चयन और योजना – स्टेशन को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि आस-पास के पर्यावरण पर न्यूनतम असर पड़े।
पानी का सही उपयोग – वर्षा जल संचयन और पुनर्चक्रण की आधुनिक तकनीकें अपनाई गईं।
ऊर्जा बचत – ऊर्जा-कुशल लाइटिंग, वेंटिलेशन और एचवीएसी सिस्टम लगाए गए।
सामग्री का संरक्षण – निर्माण में पुनर्नवीनीकरण और स्थानीय स्रोतों से प्राप्त सामग्री का उपयोग किया गया।
यात्रियों का आराम – बेहतर वायु गुणवत्ता, प्राकृतिक रोशनी और सुविधाजनक यात्री सुविधाएं सुनिश्चित की गईं।
डिज़ाइन में नवाचार – स्टेशन को भविष्य की जरूरतों के मुताबिक स्मार्ट और सस्टेनेबल बनाया गया है।
शुरू से अंत तक पर्यावरण पर ध्यान
एनसीआरटीसी ने नमो भारत परियोजना को न केवल आधुनिक यातायात का प्रतीक बनाया है, बल्कि इसे पर्यावरण-संवेदनशील विकास का उदाहरण भी पेश किया है। परियोजना की शुरुआत से लेकर इसके निर्माण और संचालन तक, हर चरण में इको-फ्रेंडली अप्रोच अपनाई गई।
पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए गए प्रमुख कदम
कम कार्बन निर्माण तकनीक: निर्माण कार्यों में ऐसे तरीकों का इस्तेमाल किया गया, जिनसे कार्बन उत्सर्जन न्यूनतम रहे।
ऊर्जा-कुशल प्रणालियाँ: स्टेशनों और वायडक्ट पर सौर ऊर्जा और कम ऊर्जा खपत वाले उपकरण लगाए गए।
प्राकृतिक वेंटिलेशन डिज़ाइन: स्टेशनों को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि हवा और रोशनी का अधिकतम प्राकृतिक प्रवाह बना रहे।
वर्षा जल संचयन: बारिश के पानी को इकट्ठा और पुनः उपयोग करने की व्यवस्था की गई, जिससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिले।
वायडक्ट के नीचे हरियाली: वायडक्ट के नीचे पौधरोपण कर एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है, जो न केवल शहर की सुंदरता बढ़ाता है बल्कि कार्बन अवशोषण में भी मदद करता है।
सौर ऊर्जा पर जोर
इसका प्रमुख उद्देश्य है कि कुल ऊर्जा खपत का 70% हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों से पूरा किया जाए। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एनसीआरटीसी ने सौर नीति बनाई है। इसके तहत स्टेशनों, डिपो और अन्य इमारतों की छतों पर 15 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन की योजना है। फिलहाल, इस योजना के तहत 4.7 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन शुरू हो चुका है। इसके अलावा, ट्रेनों और अन्य परिवहन सेवाओं में नवीकरणीय ऊर्जा के हिस्से को बढ़ाने के प्रयास भी जारी हैं।
पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी
आनंद विहार नमो भारत (भूमिगत) स्टेशन को IGBC प्लेटिनम रेटिंग मिलने से स्पष्ट होता है कि एनसीआरटीसी पर्यावरण संरक्षण को गंभीरता से ले रहा है। यह रेटिंग केवल स्टेशन के ग्रीन डिज़ाइन और टिकाऊ निर्माण की पुष्टि नहीं करती, बल्कि एनसीआरटीसी के लंबी अवधि के पर्यावरणीय लक्ष्यों और सस्टेनेबल शहरी परिवहन प्रणाली के प्रति समर्पण को भी दर्शाती है। एनसीआरटीसी के ये प्रयास ऊर्जा बचत, नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग, वर्षा जल संचयन, प्राकृतिक वेंटिलेशन, और हरित क्षेत्र विकसित करना — एक हरा-भरा और टिकाऊ भविष्य बनाने की दिशा में उठाए गए ठोस कदम हैं।
आईजीबीसी का योगदान
इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (IGBC), जिसे 2001 में कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्रीज काउंसिल (CII) के तहत स्थापित किया गया था, एक गैर-लाभकारी संगठन है। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देना है। IGBC यह काम करता है कि ऑफिस, आवासीय और वाणिज्यिक इमारतें,कारखाने और औद्योगिक परिसर,बड़े ट्रांसपोर्ट सिस्टम और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को ग्रीन बिल्डिंग रेटिंग प्रदान की जाए। इस रेटिंग में ऊर्जा और जल संरक्षण, वायु गुणवत्ता, सामग्री का संरक्षण, स्मार्ट डिजाइन और पर्यावरणीय नवाचार जैसी वैश्विक स्तर की मान्यताओं को लागू किया जाता है।
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