दिल्ली. मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के पास छत्तीसगढ़ का भी अतिरिक्त प्रभार है। उन्होंने कल दो मुख्यमंत्रियों को शपथ दिलाई। यह शायद पहला मौका होगा जब किसी राज्यपाल के द्वारा एक ही दिन में दो राज्यों के मुख्यमंत्री को शपथ दिलाई गई। पहले उन्होंने मध्यप्रदेश के नवनियुक्त मुख्यमंत्री कमलनाथ को भोपाल के जंबूरी मैदान में शपथ दिलाई, फिर छत्तीसगढ़ के रायपुर पहुंचकर 4:30 बजे भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री पद व गोपनीयता की शपथ दिलवाई।
मध्यप्रदेश चुनाव में कांग्रेस ने 230 में से 114 सीटें जबकि भाजपा ने 108 सीटें हासिल की थीं। कोई भी पार्टी अकेले बहुमत नहीं हासिल कर पाई थी। सरकार के गठन में राज्यपाल का रोल अहम होता है, लिहाजा सबकी नजरें आनंदी बेन पटेल पर थीं।
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने सबसे बड़े दल होने के नाते जब दावा पेश किया तब आनंदी बेन पटेल ने विधायक दल के नेता का नाम साफ नहीं होने का तकनीकी पहलू उजागर किया। लंबे मंथन के बाद बसपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा किया, जिसे राज्यपाल ने स्वीकार करते हुए कमलनाथ को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया।
आनंदीबेन पटेल बतौर राज्यपाल पहले भी सुर्खियां बटोर चुकी हैं। बताया जाता है कि वे किसी भी समारोह में होने वाले स्वागत मालाओं से इंकार कर देती हैं और उस खर्च से फलों की टोकरियां अनाथ आश्रमों में दान करवाती हैं। राज्यपाल के तौर वह सरकार को अक्सर बच्चों और अस्पताल में आकस्मिक निरीक्षण करके खामियों को दूर करने निर्देश देती रहती हैं।
आनंदी बेन पटेल गुजरात में सड़क और भवन निर्माण, राजस्व, शहरी विकास और शहरी आवास, आपदा प्रबंधन और वित्त आदि महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा संभाल चुकी हैं। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वह गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थीं। 2015 में पाटीदार आंदोलन के दौरान प्रदेश में हुई हिंसा को लेकर उनके नेतृत्व पर सवाल उठे थे।
2017 में उन्होंने अपनी उम्र का हवाला देते हुए अचानक इस्तीफे की पेशकश करके सबको चौंका दिया था। जनवरी 2018 में उन्हें मध्यप्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था। अगस्त 2018 में उन्हें छत्तीसगढ़ के गर्वनर का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था। बलरामजी दास टंडन के देहांत के बाद उन्हें ये जिम्मेदारी सौंपी गई थी।