Anant Chaturdashi 2025: आज अनंत चतुर्दशी है. इस दिन का विशेष महत्व न केवल गणेश विसर्जन से है, बल्कि भगवान विष्णु (अनंत स्वरूप) की पूजा और उनकी कृपा पाने के लिए अनंत धागा बांधने की परंपरा के कारण भी है. यह धागा हमें जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद देता है.
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पूजा विधि और अनंत धागा बांधने की परंपरा (Anant Chaturdashi 2025)
अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने और साफ कपड़े पहनने के बाद, भक्त व्रत का संकल्प लेते हैं. इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र की पूजा की जाती है. पूजा में धूप, दीप, फूल और तुलसी के साथ विभिन्न प्रकार के नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं. पूजा के बाद, 14 गांठों वाला अनंत सूत्र (पीले या हल्दी-रंग का धागा) बांधा जाता है. इन 14 गांठों को भगवान विष्णु के अनंत रूपों और 14 लोकों का प्रतीक माना जाता है. पुरुषों को यह धागा अपनी दाहिनी कलाई पर और महिलाओं को बाईं कलाई पर बांधना चाहिए.
मान्यता है कि यह धागा बांधने से जीवन में आने वाली हर बाधा दूर होती है और व्यक्ति को आध्यात्मिक स्थिरता मिलती है.
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अनंत चतुर्दशी का महत्व (Anant Chaturdashi 2025)
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, अगर कोई भक्त यह व्रत 14 वर्षों तक पूरी श्रद्धा और विधि-विधान के साथ करता है, तो उसे विष्णु-लोक की प्राप्ति होती है. पुराणों में ऋषि कौंडिल्य और उनकी पत्नी सुशीला की एक कथा है. इस कथा में बताया गया है कि कैसे उन्होंने भगवान विष्णु की कृपा से अपनी खोई हुई समृद्धि वापस पाई.
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