भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. इस चतुर्दशी को भगवान अनंत यानि भगवान विष्णु का व्रत और पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन पुरुष और महिला दोनों ही इस व्रत को कर सकते हैं. महिलाएं इस दिन सौभाग्य की रक्षा और सुख के लिए इस व्रत को करती हैं तो पुरुष ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए यह व्रत करते हैं. सनातन धर्म के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से श्री वेद व्यास जी ने भागवत कथा गणपति जी को लगातार 10 दिन तक सुनाई थी जिसे गणपति जी ने अपने दांत से लिखा था.
दस दिन उपरांत जब वेद व्यास जी ने आंखें खोली तो पाया कि 10 दिन की अथक मेहनत के बाद गणेश जी का तापमान बहुत अधिक हो गया है तुरंत वेद व्यास जी ने गणेश जी को निकट के कुंड में ले जाकर ठंडा किया था. इसलिए भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश स्थापना की जाती है तथा कर भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी अर्थात अनंत चतुर्दशी को उन्हें शीतल कर उनका विसर्जन किया जाता है. गणेश जी की न्यास ध्यान, पूजन और विसर्जन सदैव चतुर्थी या चतुर्दशी को किया जाना चाहिए. गणेश जी का प्रिय भोग मोदक और लड्डू हैं. लाल रंग के गुडहल के फूल (चाईना रोज) गणेश जी को प्रिय हैं. इनका प्रमुख अस्त्र पाश और अंकुश है. दुर्वा (दूब), शमी-पत्र, इमली, केले तथा लौकी इनकी प्रिय वस्तु हैं. Read more – अंबानी परिवार की गणेश चतुर्थी पूजा में पहुंची Rekha, डॉर्क मरून कलर की साड़ी में लगी कयामत …
अनंत चतुर्दशी का मुहूर्त
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 27 सितंबर 2023 को रात 10 बजकर 18 मिनट से हो रही है. इस तिथि का समापन अगले दिन 28 सितंबर को शाम 06 बजकर 49 मिनट पर होगा. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 12 मिनट से शाम 06 बजकर 49 मिनट तक है.
अनंत चतुर्दशी का महत्व
ये व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. मान्यता है कि इस दिन किए गए पूजा-व्रत से भगवान प्रसन्न होते हैं और अनंत फल देते हैं. अनंत चतुर्दशी व्रत के दिन अगर आप श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करते हैं तो इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. साथ ही यह व्रत धन-संपति, सुख-संपदा और संतान की कामना के लिए भी किया जाता है. Read More – अक्षय कुमार की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘मिशन रानीगंज: द ग्रेट भारत रेस्क्यू’ का ट्रेलर रिलीज, देखकर कांप जाएगी रूह …
अनंत चतुर्दशी की पूजन विधि
अनंत चतुर्दशी के पूजन में व्रतकर्ता को प्रात:स्नान करके व्रत का संकल्प करना चाहिए पूजा घर में कलश स्थापित करना चाहिए, कलश पर भगवान विष्णु का चित्र स्थापित करनी चाहिए इसके पश्चात धागा लें जिस पर चौदह गांठें लगाएं इस प्रकार अनन्तसूत्र (डोरा) तैयार हो जाने पर इसे प्रभु के समक्ष रखें इसके बाद भगवान विष्णु तथा अनंतसूत्र की षोडशोपचार-विधिसे पूजा करनी चाहिए तथा अनन्तायनम: मंत्र क जाप करना चाहिए. पूजा के पश्चात अनन्तसूत्र मंत्र पढकर स्त्री और पुरुष दोनों को अपने हाथों में अनंत सूत्र बांधना चाहिए और पूजा के बाद व्रत-कथा का श्रवन करें. अनंतसूत्र बांधने लेने के बाद ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए और स्वयं सपरिवार प्रसाद ग्रहण करना चाहिए.
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