रायपुर। प्रदेश में सामाजिक और जातिगत स्तर पर सक्रिय पंचायतों द्वारा सामाजिक बहिष्कार के लगातार मामले आ रहे हैं. इस कुप्रथा के खिलाफ विधानसभा में सक्षम कानून लाने के लिए कानून लाने अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की ओर से विधायकों को पत्र लिखा जा रहा है.

अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया कि प्रदेश में सामाजिक बहिष्कार के मामले लगातार सामने आते रहते हैं.  पिछले दिनों जशपुर, कोंडागांव, केशकाल, सरायपाली, बगीचा कांसाबेल में परिवारों के सामाजिक बहिष्कार करने की घटना सामने आई है. पूरे प्रदेश में इस तरह से 30 हजार से अधिक व्यक्ति सामाजिक बहिष्कार जैसी कुरीति के शिकार हैं.

डॉ. मिश्र ने बताया कि समिति इन सामाजिक बहिष्कार जैसी सामाजिक कुरीति के खिलाफ जनजागरण एवं प्रताड़ित लोगों की मदद के लिए पिछले कुछ वर्षों से लगातार कार्य कर रही है. समिति सभी जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखकर आगामी विधानसभा सत्र में सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ कानून बनाने की मांग कर रही है.

उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र विधानसभा में सभी सदस्यों ने सामाजिक बहिष्कार प्रतिषेध अधिनियम के संबंध में महत्वपूर्ण कानून को बिना किसी विरोध के सर्वसम्मति से 11 अप्रैल 2016 को पारित किया था. 20 जून 2017 को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी मिलने के बाद 3 जुलाई 2017 से पूरे महाराष्ट्र में लागू कर दिया गया. इसी प्रकार हमारे प्रदेश में भी सामाजिक बहिष्कार प्रतिषेध अधिनियम की महती आवश्यकता महसूस की जा रही है.

डॉ. मिश्र ने आगे कहा कि सामाजिक बहिष्कार के कारण विभिन्न स्थानों से आत्महत्या, हत्या, प्रताडऩा व पलायन की खबरें लगातार समाचार पत्रों में आती रहती है. इस संबंध में अब तक कोई सक्षम कानून नहीं बन पाया है इसलिए ऐसे मामलों में कोई उचित कार्रवाई नहीं हो पाती है, और न ही रोकथाम का कोई प्रयास होता है.

सामाजिक बहिष्कार के मामलों के आँकड़े को लेकर नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो, राज्य सरकार, पुलिस विभाग के पास कोई अब तक रिकार्ड जानकारी नहीं है. ऐसी जानकारी सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त हुई है. जबकि ऐसी घटनाएँ लगातार होती है. इस संबंध में सामाजिक· बहिष्कार प्रतिषेध अधिनियम को आगामी विधानसभा सत्र में सामाजिक बहिष्कार केसंबंध में सक्षम ·कानून बनाने के लिए पहल करें ताकि अनेक प्रताडि़तों को न्याय मिल सके.